नेताजी का आजादी में था अहम योगदान : डा. रमन घई
होशियारपुर यूथ सिटीजन कौंसिल पंजाब ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में स्थानीय निर्मल टावर सरकारी कालेज चौक में मनाया। इस मौके पर भाजपा स्पोटर्स सेल के प्रदेश कनवीनर डा. रमन घई ने विशेष तौर से उपस्थित होकर नेताजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
जागरण टीम, होशियारपुर
यूथ सिटीजन कौंसिल पंजाब ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में स्थानीय निर्मल टावर सरकारी कालेज चौक में मनाया। इस मौके पर भाजपा स्पोटर्स सेल के प्रदेश कनवीनर डा. रमन घई ने विशेष तौर से उपस्थित होकर नेताजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस अवसर पर डा. घई ने कहा कि नेताजी ने जिस सोच व पराक्रम से अंग्रेजी हुकूमत को हिलाते हुए देश की आजादी में अपना योगदान दिया उसके लिए राष्ट्र हमेशा उनका ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि नेताजी ने 1944 में आजाद हिद फौज की स्थापना कर देश को आजाद घोषित कर दिया था। जिसके कारण अंग्रेजों को मजबूर होकर बाद में हिदुस्तान छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज युवा शक्ति को नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर देश की एकता, अखंडता व तरक्की में अपना योगदान डालना चाहिए, ताकि भारत विश्व मानचित्र पर एक महाशक्ति के रूप में उभरे।
इस अवसर पर कौंसिल के जिला अध्यक्ष डा. पंकज शर्मा, मनोज शर्मा, गौरव वालिया, डा. वशिष्ट कुमार, डा. राज कुमार सैनी, गौरव शर्मा, गगनदीप, हरप्रीत, अश्विनी छोटा, यशु जैन, राज कुमार शर्मा, परमजीत, रमनीश घई, दलजीत सिंह, जसवीर सिंह, टिकू शर्मा, मयंक शर्मा, राजेश सैनी, बबलू, करनैल सिंह, करण शर्मा, रमनदीप आदि कार्यकर्ता मौजूद थे।
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नेताजी को किए श्रद्धासुमन अर्पित
संवाद सहयोगी, दातारपुर
875 साल की परतंत्रता के लंबे इतिहास में कई भारतीयों ने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष किया और कुर्बानियां दी। यह बात दातारपुर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के के मौके पर प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी सदस्य कंवर रत्न चंद ने कही। उन्होंने कहा कि इन्हीं में से एक थे तेजस्वी नेताजी सुभाष चंद्र बोस। वह मेधावी छात्र थे। उन्होंने भारतीयों के साथ भेदभाव को शुरू से देखा। कक्षा में भारतीय छात्रों को पिछली सीटों पर बिठाया जाता था। अंग्रेज अध्यापक नेताजी के अंक देखकर और उनकी कुशाग्र बुद्धि देखकर परेशान होते थे। स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
उन्होंने कहा कि नेताजी भारत के पहले आइसीएस थे, वह चाहते तो उच्चकोटी के प्रशासनिक अधिकारी बनते। सारे देश के सरताज होते। पर नेताजी का कहना था कि मैं लोगों पर नहीं, उनके मनों पर राज करना चाहता हूं। उन्होंने भारतीयों, विशेषकर युवाओं को संगठित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर नेताजी को श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया गया।
इस अवसर पर पवन कुमार, पुरुषोत्तम, प्रकाश डडवाल, अनिल, अशोक कुमार, दयाल सिंह मौजूद रहे।