सिविल अस्पताल में मरीजों के लिए न तो कंबल और न ही चादरों की व्यवस्था
सरकारी अस्पताल में चौबीस घंटे बेहतरीन इलाज के दावे किए जाते हैं लेकिन सरकारी अस्पताल होशियारपुर में कदम रखते ही सभी दावे खोखले नजर आने लगते हैं।
सतीश कुमार, होशियारपुर
सरकारी अस्पताल में चौबीस घंटे बेहतरीन इलाज के दावे किए जाते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल होशियारपुर में कदम रखते ही सभी दावे खोखले नजर आने लगते हैं। अव्यवस्था का आलम यह है कि एक बेड पर दो-दो मरीज हैं। अस्पताल में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रहीं। कड़कती सर्दी में मरीजों के लिए चादरें हैं और न ही कंबल। ऐसे में ठंड से बचने के लिए मरीजों को अपने घर से चादरों और कंबल का जुगाड़ करना पड़ता है।
सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी में सामने ही दो मरीज एक बेड पर लेटे थे। दोनों मरीजों के ऊपर कंबल तो क्या बेड पर चादर भी नहीं थी। बेड पर पड़े गद्दों पर प्लास्टिक कवर चढ़े थे। इमरजेंसी के अगले कमरे जिसको माईनर ओटी भी कहते हैं। उनके अंदर बेड पर चादरें नहीं थी।
अंदर कमरों में जाकर देखा तो वहां पर मरीजों की काफी भीड़ तो थी मगर किसी पर भी कंबल नहीं था। पास के ही एक ही बेड पर दो मरीजों को लेटाया गया था। अस्पताल का तो कोई मुलाजिम कुछ भी बताने को तैयार नहीं था, मगर मरीजों से पूछा तो उन्होंने कहा कि वह सुबह से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं, मगर कोई भी डॉक्टर अभी तक नहीं आया है। डिस्पेंसरी में नहीं मिल रही दवाएं
सरकारी अस्पताल के अंदर बनी डिस्पेंसरी में काफी दवाइयां खत्म हो गई हैं। विभाग को लिख कर दिया गया है। कुछ मरीजों ने बताया कि कभी भी डिस्पेंसरी से पूरी दवा नहीं मिलती है। कुछ दवा पर्ची पर लिख कर बोल देते हैं कि बाहर से ले लो। वह दवा एक तो बहुत महंगी होती है और ऊपर से वह दवा केवल अस्पताल के बाहर बने मेडिकल स्टोर से ही मिलती है। शहर में और किसी भी स्टोर से नहीं मिलती है। जल्द होगा समस्या का समाधान: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. जसवीर सिंह ने बताया कि उनके ध्यान में अभी यह बात आई है। सारे स्टाफ को बुलाकर उन्हें सख्त निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। हरेक मरीज को चादरें व कंबल देने के निर्देश दिए जाएंगे। लापरवाही बरतने वाले मुलाजिमों पर कार्रवाई होगी। जहां तक दवा न मिलने की बात है, उसके बारे में लिखकर भेजा गया है।