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महंत राम प्रकाश दास जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आज, हजारों श्रद्धालु करेंगे श्रद्धासुमन अर्पित

तलवाड़ा ब्लाक के गांव भुंबोताड़ में कौल परिवार में पिता श्री लाल दास एवं माता जानकी देवी के घर 20 मार्च 1934 को महंत श्री राम प्रकाश दास जी का जन्म हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 12:04 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 12:04 AM (IST)
महंत राम प्रकाश दास जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आज, हजारों श्रद्धालु करेंगे श्रद्धासुमन अर्पित
महंत राम प्रकाश दास जी की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आज, हजारों श्रद्धालु करेंगे श्रद्धासुमन अर्पित

संवाद सहयोगी, दातारपुर : तलवाड़ा ब्लाक के गांव भुंबोताड़ में कौल परिवार में पिता श्री लाल दास एवं माता जानकी देवी के घर 20 मार्च 1934 को महंत श्री राम प्रकाश दास जी का जन्म हुआ। महंत जी की बचपन से ही धर्म और अध्यात्म में रुचि को देखकर बाबा लाल दयाल दरबार दातारपुर में की गई मन्नत के अनुसार माता पिता ने अपने इस महान सपूत को दरबार के महंत 108 श्री भरत दास जी के सुपुर्द कर दिया और दरबार द्वारा संचालित पाठशाला में अध्ययन के लिए दाखिल करवा दिया। कुछ समय के बाद महंत भरत दास ने इन्हें अपना शिष्य एवं उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया।

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अपने गुरु जी के बैकुंठ गमन के बाद उन्हें 26 मार्च 1950 को दातारपुर तथा रामपुर गद्दी का महंत नियुक्त कर दिया। 19 फरवरी 1967 को महंत जी बतौर आजाद प्रत्याशी दसूहा से विधान सभा का चुनाव जीते और स्वास्थ्य, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बने। धार्मिक, समाजिक एवं राजनीति में त्यागपूर्वक जीवन बिताते हुए महंत जी ने लोगों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई तथा उन्हें कार्याविंत किया। उन्हें कुंभ हरिद्वार में वैरागी अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया। उनकी विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए उन्हें विश्व हिदू परिषद का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं उत्तर भारत का अध्यक्ष बनाया गया। हिदू संस्कृति एवं सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए महंत जी ने 52 देशों का भ्रमण किया। उनकी दसवीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 22 नवंबर को बाबा लाल दयाल आश्रम रामपुर में श्रद्धांजलि समागम का आयोजन किया जा रहा है। महंत रमेश दास की अध्यक्षता में उक्त कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु आज उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। सैकड़ों मंदिरों का शिलान्यास करवाया

उन्होंने लाखों लोगों को दीक्षा दी उन्होंने हरिद्वार में 12 करोड़ रुपये की लागत से दो भव्य आश्रम बनवा कर दातारपुर के नाम को चमकाया। इसके अतिरिक्त सैकड़ों मंदिरों का शिलान्यास एवं मूर्ति प्रतिष्ठापना करवाई। 11 भाषाओं के ज्ञाता महंत जी संस्कृत, उर्दू, फारसी तथा अंग्रेजी के प्रकांड विद्वान थे, एवं धर्म वक्ता थे। उन्होंने पांच एकड़ जमीन देकर आयुर्वेदिक अस्पताल बनवाया। जल सप्लाई योजना दातारपुर, संस्कृत कालेज, कन्या कालेज तथा चार हाई स्कूल बनवाए, प्रति वर्ष दो लाख रुपये की किताबें तथा वर्दियां महंत जी निर्धन बच्चों को देते थे। दातारपुर में उन्होंने दो बैंक भवन, दूरभाष केंद्र, डाकघर आदि बनवाकर इलाका वासियों को सुविधा प्रदान की। सुनामी पीड़ितों, भूकंप पीड़ितों तथा अन्य जरूरतमंदों की भी उन्होंने मदद की। राष्ट्र भाषा हिदी, संस्कृत के उत्थान के लिए उन्होंने भरसक प्रयास किए। चार नवम्बर 2010 को एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने के बाद मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उनका 11 नवंबर को बैकुंठ गमन हुआ।


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