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कुमार सैनी ने पीएम और वित्त मंत्री को लिखा पत्र

केएमएस कॉलेज ऑफ आइटी एंड मैनेजमेंट चौ. बंता सिंह कॉलोनी दसूहा के चेयरमैन चौ. कुमार सैनी ने शैक्षिक संस्थाओं खासकर मौजूदा स्व वित्त कॉलेजों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 12:23 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 12:23 AM (IST)
कुमार सैनी ने पीएम और वित्त मंत्री को लिखा पत्र

संवाद सहयोगी, दसूहा : केएमएस कॉलेज ऑफ आइटी एंड मैनेजमेंट चौ. बंता सिंह कॉलोनी दसूहा के चेयरमैन चौ. कुमार सैनी ने शैक्षिक संस्थाओं खासकर मौजूदा स्व: वित्त कॉलेजों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने कुछ सुझाव दिए। इस महामारी से शैक्षिक संस्थान (कॉलेज) जो सबसे पहले 15 मार्च 2020 से बंद किए गए थे और आने वाले निर्देशों तक बंद रहने की संभावना है। इस दौरान सरकार चाहती है कि विद्यार्थियों से फीस न ली जाए और अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाले बिना उनको वेतन भी दिया जाए। केंद्र सरकार की तरफ से पांच पड़ाव में जारी 20 लाख करोड रुपये की आर्थिक सहायता (नीति) जारी की गई है। इन सभी निर्देशों में शैक्षिक संस्थान खासकर सवै: वित्त कॉलेजों का कोई जिक्र नहीं है। इस वक्त सरकार के आगे लॉकडाउन दौरान आ रही आर्थिक और सामाजिक मुश्किलों से भली-भांति परिचित हैं। इसलिए वित्त पीटीयू कॉलेज चाहते हैं कि सरकार की तरफ से सामाजिक और लोक भलाई विभाग की तरफ से एससी, एसटी विद्यार्थियों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक स्कीम के अधीन ग्रांट जो कि वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की राशि केंद्र सरकार की तरफ बकाया है। इस स्कीम के अधीन आने वाले बकाए का वर्ष 2017-18 और 2018-19 का ऑडिट भी पंजाब सरकार की तरफ से किया जा चुका है। इसलिए हम पंजाब के सभी सवै वित्त कॉलेज अपने कामकाज को जारी रखने के लिए मांग करते हैं कि यह दो वर्ष का बकाया केंद्र सरकार, पंजाब सरकार को भेजें और उनको निर्देश दे कि यह राशि 15 दिन के भीतर जल्द से जल्द कॉलेजों को दे दी जाए। केंद्र सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से केंद्र का वित्त मंत्रालय एक क्रेडिट स्कीम का ऐलान करें। जिसमें शैक्षिक संस्थान (कॉलेजों) को उनकी आर्थिक योग्यता को देखते हुए 50 लाख से एक करोड़ रुपये का कर्ज नेशनलाइज बैंकों की तरफ से कम ब्याज में दिया जा सकें। इन मांगों से केंद्रीय सरकार पर कोई आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ेगा। केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि उनके इन सभी सुझावों को मानते हुए लागू किया जाए।

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