कृष्ण ने रिश्तों के बजाय कर्तव्य को दिया महत्व
संवाद सहयोगी, दातारपुर श्री कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण क
संवाद सहयोगी, दातारपुर
श्री कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। दैनिक जागरण के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर चर्चा करते हुए कमाही देवी में महंत राज गिरी जी ने कहा, यह पर्व भारत में हीं नहीं बल्कि विदेश में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में जन्म लिया। चूंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, अत: इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। श्री कृष्ण से हमें ऐसी कई शिक्षाएं मिलती हैं, जो विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती हैं। कृष्ण के जन्म से पहले ही उनकी मृत्यु का षड्यंत्र रचा जाना और कारावास जैसे नकारात्मक परिवेश में जन्म होना किसी त्रासदी से कम नहीं था।
समस्त शक्तियों के अधिपति युवा कृष्ण महाभारत में कर्म पर ही विश्वास करते हैं। कृष्ण का मानवीय रूप महाभारत काल में स्पष्ट दिखाई देता है। गोकुल का ग्वाला, ब्रज का कान्हा धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों के मायाजाल से दूर व मोह-माया के बंधनों से अलग है। कंस हो या कौरव पांडव, दोनों ही निकट के रिश्ते। फिर भी कृष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रस्तुत किया कि धर्म की रक्षा के लिए रिश्तों की बजाय कर्तव्य को महत्व देना आवश्यक है।
कृष्ण का जीवन दो छोरों में बंधा है। एक ओर बांसुरी है, जिसमें सृजन का संगीत है, आनंद है, अमृत है और रास है। तो दूसरी ओर शंख है, जिसमें युद्ध की वेदना है, गरल है तथा निरसता है। ये विरोधाभास ये समझाते हैं कि सुख है, तो दु:ख भी है।
महंत जी ने कहा यशोदा नंदन की कथा किसी द्वापर की कथा नहीं है, किसी ईश्वर का आख्यान नहीं है और ना ही किसी अवतार की लीला। वो तो यमुना के मैदान में बसने वाली भावनात्मक रूह की पहचान है। वह यशोदा का नटखट लाल है, तो कहीं द्रोपदी का रक्षक, गोपियों का मनमोहन तो कहीं सुदामा का मित्र। महंत राज गिरी ने सभी को श्री कृष्णावतार के अवसर पर बधाई दी है।