ब्रह्मज्ञान की रोशनी को जन-जन तक पहुंचाते हैं संत : सुदीक्षा जी महाराज
संत अपने भले तक ही सीमित न होकर सभी के भले की कामना करते हैं और इंसान को इंसान के असली स्वरूप की जानकारी देकर असली उद्देश्य की ओर अग्रसर करते हैं। संत ब्रह्मज्ञान की रोशनी को जन-जन तक पहुंचाते हैं। यह उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने जेसलमेर के मंगल ¨सह पार्क में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए। यह जानकारी संत निरंकारी मंडल के मीडिया सहायक मनप्रीत ¨सह मन्ना ने दी। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि यहां पर आकर आप संतों की सादगी व प्यार देखकर बहुत ही खुशी हो रही है।
जेएनएन, होशियारपुर : संत अपने भले तक ही सीमित न होकर सभी के भले की कामना करते हैं और इंसान को इंसान के असली स्वरूप की जानकारी देकर असली उद्देश्य की ओर अग्रसर करते हैं। संत ब्रह्मज्ञान की रोशनी को जन-जन तक पहुंचाते हैं। यह उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने जेसलमेर के मंगल ¨सह पार्क में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए। यह जानकारी संत निरंकारी मंडल के मीडिया सहायक मनप्रीत ¨सह मन्ना ने दी। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने कहा कि यहां पर आकर आप संतों की सादगी व प्यार देखकर बहुत ही खुशी हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यहां पर संतों महात्माओं द्वारा नाटक रूप, कविता रूप, मराठी, ¨हदी व पंजाबी में जिस भी भाषा का सहारा लिया, उसका एक ही संदेश था कि इंसान जो अपना असली स्वरूप समझ रहा है, वो उसका असली स्वरूप नहीं है। असल में उसका रूप आत्मा है, जो कि परमात्मा का अंश है। ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मा का परमात्मा से मेल होता है। उसकी जानकारी निरंकारी मिशन में परमात्मा के दर्शन करवाकर वा करवाई जाती है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि एक शेर भेड़ों के बीच पल रहा था। एक दिन जब उसने अपना रूप पानी में देखा तो तभी जाकर उसे समझ आई कि वह असल में क्या है। इसी तरह इंसान संसार के किसी भी स्थान पर रह रहा है। सभी में एक ही आत्मा है। समय बीतता चला जा रहा है, इसलिए समय रहते हुए इस निरंकार प्रभु की जानकारी हासिल करके जीवन का असली उद्देश्य पूरा करें। इससे पहले जेसलमेर के मुखी महात्मा धर्म ¨सह पवार ने निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का स्वागत व धन्यवाद किया। इससे पहले कविताओं, गीतों व विचारों द्वारा इस निरंकार प्रभु की चर्चा की गई।