पौधे लगाना बना लिया ¨जदगी का मकसद
अंकल मेरा जन्मदिन है, मुझे हरड़ बहेड़ा आंवला के पांच-पांच पौधे चाहिए, कुछ ऐसा ही होता है जब किसी रोज संजीव तलवाड़ के फोन की घंटी बजती है तो बच्चे उनसे अपने जन्मदिन का तोहफा मांग लेते हैं।
रजनीश गुलियानी, होशियारपुर
अंकल मेरा जन्मदिन है, मुझे हरड़ बहेड़ा आंवला के पांच-पांच पौधे चाहिए, कुछ ऐसा ही होता है जब किसी रोज संजीव तलवाड़ के फोन की घंटी बजती है तो बच्चे उनसे अपने जन्मदिन का तोहफा मांग लेते हैं। हुआ ऐसे के संजीव तलवाड़ अपनी पत्नी नीति तलवाड़ के साथ स्कूलों में पौधे लगाने जाते थे और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण पर प्रेरित करते थे। जब उन्होंने इस मुहिम में लगभग 200 निजी व सरकारी स्कूलों को शामिल कर लिया था। एक दिन संजीव तलवाड़ के जन्मदिवस पर यह दंपति जब एक स्कूल में पौधारोपण करने गए तो एक नन्ही बालिका मुस्कान ने कहा क्या अंकल मेरे जन्मदिन पर भी पौधे लगेंगे? तो तलवाड़ दंपति ने एलान कर दिया के कोई भी बच्चा जब उनको पौधे लगाने संबंधी मांग भेजेगा तो वह खुद स्कूल में पौधे देकर जाया करेंगे और तब से यह बच्चों को जन्मदिन पर पौधों का गिफ्ट देना निरंतर जारी है। दंपति संजीव तलवाड़ के पिता सतपाल आयुर्वेद के ज्ञाता थे। इनके घर में मानो आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी ही चलती हो, हर मर्ज का इलाज आयुर्वेद के सहारे चुटकियों में ही हो जाता था। संजीव तलवाड़ के पिता बचपन से ही घर में बच्चों को सीताफल, आमला, कनेर, अमृतधारा, हरड़ बहेड़ा इत्यादि के गुणों से अवगत कराते रहें और इनके सेवन पर बल देते रहे। इसके बाद 1994 में पिता के निधन के बाद संजीव तलवाड़ ने हर साल पौधे लगाना और उसकी सेवा करना ही कर्तव्य बना लिया। 25 सालों में खुद 5 हजार से अधिक पौधे लगा चुके है। संजीव तलवाड़ बचपन से ही मां को बरगद-पीपल का पूजा करते देखते थे। उनकी मां घर के आंगन में गमले में बरगद-पीपल का पौधा लगाकर रोज पानी डालकर पूजा करती थी। लेकिन सरकारी स्कूल बस्सी गुलाम हुसैन में पढ़ाई के दौरान अध्यापक दिलबाग ¨सह और राजकुमार निडर द्वारा लगाई जाने वाली ओवरटाइम क्लासेस में संजीव तलवाड़ का पर्यावरण प्रेम और विकसित हुआ। संजीव तलवाड़ ने बताया कि उनके अध्यापकों ने उन्हें बताया था के अगर बच्चों को साथ जोड़ो गे तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा। 1994 में उनके पिता सतपाल की मौत हो गई, लेकिन पिता का पौधों के प्रति लगाव देखकर उसके मन में भी पौधों के प्रति प्रेम और प्रफुल्लित हुआ और पिता द्वारा लगाए गए आंवला, हरड़ बहेड़ा, बरगद और पीपल के पौधों को बड़ा करने का ठान लिया। उन पौधों को उन्होंने हनुमान धारा में लगाया और रोज पानी देने जाने लगे। संजीव तलवाड़ का कुछेक पौधों से शुरु हुआ प्रकृति प्रेम उनके जीवन का हिस्सा बन गया और पौधा लगाना ही ¨जदगी का मकसद। पत्नी नीति तलवार का साथ मिलने के बाद शुरुआत में उन्होंने कई लोगों से उनके घरों में लगे पीपल व बरगद को ले जाकर लगाना शुरु किया। बाद में वह घर पर ही अनेक किस्म के पौधे तैयार करने लगे और उन्हें हनुमान धारा में जाकर रोप दे।सारा खर्च खुद से ही वहन किया। आज होशियारपुर के आसपास उनके द्वारा लगाए गए एक हजार के करीब पौधे पेड़ बन गए हैं। जिनमें नीम, आंवला, बरगद, पीपल, कदम, जामुन, करंज, इमली, अशोक शामिल हैं। कई प्रजाति के फूलों के पौधे लगाए गए हैं। पेड़ों की देखभाल करना अब बन चुका है जीवन का हिस्सा
संजीव बताते हैं कि पेड़ों का उनसे अपने परिवार के सदस्यों की तरह लगाव हो चुका है। बच्चों की तरह ही वे उनकी देखभाल करते हैं। अब तक यह उनकी जीवन का हिस्सा बन चुका है। पेड़ों और हरियाली को देखकर वह अपने पिता को याद करते हैं।वे जब तक ¨जदा रहेंगे, पेड़ लगाते रहेंगे और उनकी देखभाल करेंगे, यही उनका सपना है। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल बस्सी गुलाम हुसैन और सरकारी स्कूल चब्बेवाल जियान के बच्चों ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए यह अभियान जान है। बच्चों ने स्कूल में 50 पौधे लगाए
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को ऑक्सीजन देने वाले पेड़-पौधों को लगाना चाहिए। तलवाड़ दंपती के अभियान से प्रेरित होकर बच्चों ने स्कूल में 50 पौधे रोपे। इस पौधरोपण अभियान में अब नारायण नगर के 30 के लगभग बच्चे शामिल हो गए हैं, रविवार के दिन के बच्चे सुबह 2 घंटे लगाए हुए पौधों को पानी देते हैं और उसके बाद मैदान में खेलते हैं। तलवाड़ दंपती के पर्यावरण सरोकार का यह अभियान युवाओं को निश्चित रुप से पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा। इस अभियान में हमने भी पौधे पालने का संकल्प लिया है।
कपिल गुप्ता, पर्यावरण प्रेमी।
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धरती का होगा श्रृंगार
- एसके पोंमरा, सोशल रिस्पांसिबिलिटी ऑफिसर, सोनालिका उद्योग समूह ने कहा कि पर्यावरण सरोकार को लेकर चल रहा अभियान अत्यंत सराहनीय है। इस अभियान के तहत धरती का श्रृंगार करेंगे। इससे जागरुकता आने से तस्वीर बदलेगी।