अवैध पिस्तौलों से क्राइम का खेल, पुलिस शिकंजा कसने में फेल
कानून का पाठ पढ़ाने वाला पुलिसिया तंत्र अवैध पिस्तौलों से हो रहे क्राइम के खेल को रोकने में विफल साबित हो रही है।
हजारी लाल, होशियारपुर
कानून का पाठ पढ़ाने वाला पुलिसिया तंत्र अवैध पिस्तौलों से हो रहे क्राइम के खेल को रोकने में विफल साबित हो रही है। लिहाजा, अवैध पिस्तौलों से लूट और हत्या जैसी घटनाओं को बेखौफ अंजाम दिया जा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा की कि अगर पुलिस इसी तरह से नींद में डूबी रही तो आने वाले समय में अवैध पिस्तौल का क्रेज और भी ज्यादा घातक सिद्ध होगा।
कुछ माह पहले कोटफतूही में अवैध हथियारों के बल पर एक्सिस बैंक को लूटा गया था। तीन दिन पहले ही पुलिस पार्टी पर फाय¨रग करने वाले बदमाशों के पास भी अवैध पिस्तोल बरामद हुई है। अभी इस घटना की स्याही नहीं सूखी थी कि तीन लुटेरों ने अवैध पिस्तौल के बल पर शनिवार रात को दसूहा में लूट की चार वारदातों को अंजाम दिया। यूं कहें की कि अवैध पिस्तौलें सुरक्षा को खतरा बन गई हैं और पुलिस भी इस समस्या से निपटने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। युवाओं में बढ़ा अवैध पिस्तौल रखने का क्रेज
पुलिस के आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2008 में पुलिस ने जिले में 06 अवैध पिस्तौलें पकड़ीं थीं। वर्ष 2009 में 09 पिस्तौलें बरामद की गई थीं। एक साल बाद ही अवैध पिस्तौलें रखने का क्रेज इतना बढ़ा की कि वर्ष 2010 में पुलिस ने 36 अवैध पिस्तौलें बरामद की। वर्ष 2011 में 27 अवैध पिस्तौलें, वर्ष 2012 में 36 अवैध पिस्तौलें पकड़ीं। इसके अलावा वर्ष 2013, साल 14, साल 15, साल 16 और साल 17 और चालू साल में 150 से ज्यादा अवैध पिस्तौलें बरामद की हैं। पुलिस का यह रिकार्ड ही बताता है कि जिले में अवैध पिस्तौलें रखने का क्रेज तेजी से बढ़ा है और यही आम जनता के लिए किसी खतरनाक खेल से कम नहीं। असली सौदागर पुलिस की पकड़ से दूर
जमीनी हकीकत यह है कि पुलिस अवैध पिस्तौलें पकड़ने पर चेन नहीं बनाती है। यानी कि जो युवक पिस्तौल के साथ पकड़ा गया है, उसने किससे खरीदी थी। कितनी में खरीदी थी। उसे बेचने वाले युवक ने आगे कहां से खरीदा था। इस आलम में अवैध पिस्तौलें की अवैध बिक्री की चेन नहीं बन पाती है। इससे अवैध पिस्तौलों के असली सौदागर पुलिस की पकड़ से दूर रह जाते हैं। यही कारण है कि उनके काले धंधे पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। उत्तर प्रदेश से मंगवाई जाती हैं अवैध पिस्तौलें
सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मेरठ इलाके में कुछ लोहार अवैध पिस्तौलें बनाने का काला धंधा करते हैं। वह देसी कट्टा से लेकर सिक्सर यानी कि छह राउंड की पिस्तौल तैयार कर देते हैं। देसी कट्टा लोहार महज एक हजार-बारह सौ में और पिस्तौल भी चार से पांच हजार में बना देते हैं। जिले में कुछ आपराधिक किस्म के युवाओं ने इसे अपना व्यापार बना रखा है। वह वहां से सस्ते दाम पर मंगवाकर यहां के युवाओं को महंगे दाम पर बेच जाते हैं। आधा से ज्यादा मुनाफा इसके सौदागर ही खा लेते हैं। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि जिले में इन दिनों अवैध पिस्तौलों की भरमार सी हो गई है। अगर पुलिस सख्ती से अवैध पिस्तौलों के खिलाफ चेन बनाकर अभियान चलाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है। पुलिस करेगी सख्ती: एसएसपी
एसएसपी जे. इलनचेलियन ने कहा कि पुलिस अवैध पिस्तौलों को लेकर गंभीर है। पुलिस और भी ज्यादा सख्ती करेगी। पिस्तौल के पकड़े जाने वाले अपराधियों से गहनता से पूछताछ के आधार पर इसकी तह तक जाया जाएगा। पुलिस अवैध पिस्तोलों के खिलाफ अभियान चलाएगी। अवैध पिस्तोलों से ही हुए हैं कई क्राइम
गढ़दीवाला का चाहे शाने हत्याकांड या फिर स्वामी सर्वानंद गिरि रीजनल सेंटर पंजाब युनविर्साटी के स्टूडेंट मनप्रीत मन्ना हत्याकांड हो, अवैध पिस्तौलों से खूनी खेल खेला गया था। और भी हत्याकांड ऐसे हैं, जिन्हें अवैध पिस्तौल से ही अंजाम दिया गया है। यहां तक पिछले दो माह के भीतर करीबन एक दर्जन लूटे गए पेट्रोल पंपों पर भी अवैध पिस्तौलों का ही प्रयोग किया गया है। यह आपराधिक घटनाएं साफ इशारा करती हैं कि अवैध पिस्तौल समाज के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही हैं। लूट की घटनाओं से लेकर हत्या की घटनाओं में अंजाम देने के लिए धड़ल्ले से अवैध पिस्तौलों का प्रयोग कहीं न कहीं कानून व्यवस्था के सिरदर्दी बना हुआ है। हालांकि गाहे-बेगाहे पुलिस अवैध पिस्तौलों के साथ युवाओं को पकड़ती भी है, लेकिन पुलिस का काम चेन बनाने की बजाय इसके असली सौदागरों तक नहीं पहुंचा जाता है। पिस्तौलों के पकड़े जाने पर मामला दर्ज करके जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली जाती है। यही कारण है कि जिले में अवैध पिस्तौलों की भरमार होती जा रही है।