ओवरलोड वाहन दुर्घटनाओं को दे रहे दावत
सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों के लिए यातायात विभाग की ओर से कुछ नियम तय किए गए हैं।
रजनीश गुलियानी, होशियारपुर
सड़क पर दौड़ने वाले वाहनों के लिए यातायात विभाग की ओर से कुछ नियम तय किए गए हैं। परंतु प्रतिदिन सड़कों पर इन नियमों की धज्जियां उड़ते आसानी से देखा जा सकता है। प्रतिदिन सड़कों पर ऐसे वाहन आसानी से दौड़ते हुए दिखाई दे जाएंगे। जो पूरी तरह से अनफिट है। वाहनों की फिटनेस नियमों का पालन करा कर नहीं। बल्कि चांदी की चमक से तय होते है। जिनका परिणाम सड़कों पर आए दिन होने वाले हादसों के रुप में दिखाई देता है। वाहनों के सड़क पर उतरने से पहले उनकी फिटनेस की जांच जरूरी है। कंपनी से नया वाहन खरीदने के दो वर्ष तक सड़क पर चलाया जा सकता है। परंतु इसके बाद व्यवसायिक वाहनों को हर वर्ष सड़क पर चलने के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होता है। वाहनों की फिटनेस जांच के लिए सप्ताह में दो दिन निर्धारित भी होते है। तय मानदंडों को पूरा करने वाले वाहन ही चलने के काबिल माने जाते हैं। फिटनेस के लिए बने इन नियमों के आधार पर ही खेल चलता है। नियमों के अनुसार फिटनेस के लिए सड़क पर उतरने वाले वाहनों के लिए सबसे पहले स्पीड गवर्नर, हैड लाइट, कलर रिफ्लेक्टर, रेडियम टेप, टैक्स, परमिट तथा कोहरे में फाग लाइट की अनिवार्यता होती है। फिटनेस पर खासकर सड़क सुरक्षा के लिए जरुरी चीजों को अनदेखा भी कर दिया जाता है। जिसका खामियाजा किसी न किसी व्यक्ति को अपनी जान गवां कर चुकाना पड़ता है।
ट्रैक्टरों का हो रहा है, व्यवसायिक प्रयोग जिले में कृषि कार्य के लिए खरीदे गए ट्रैक्टरों का व्यवसायिक प्रयोग बढ़ता रहा है। आकार से बड़ी ट्रालियां बनवा कर क्रशर, रोडी, बजरी व ईंटे ढुलाई का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है। इन में क्षमता से अधिक भार भी ढोया जा रहा है। ट्राली का आकार ट्रक के बराबर होने के कारण चालक को पीछे से आने वाले वाहन दिखाई तक नहीं देते। ट्रैक्टर के व्यावसायिक प्रयोग धड़ल्ले से होने के बावजूद पुलिस से लेकर परिवहन विभाग के अधिकारी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। ऐसे ट्रैक्टर का टैक्स भी नहीं भरना पड़ता। निर्माण सामग्री लेकर आने वाले ट्रैक्टर जिले की सड़कों पर बेखौफ होकर दौड़ते हैं जिन पर पुलिस का अभयदान रहता है। इनके चालक भी अप्रशिक्षित होते है। जिला ट्रैफिक इंचार्ज इंस्पेक्टर तल¨वदर ¨सह ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान काटे जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभा रही है। वह देखेंगे के कमी कहां पर है।
विभाग नहीं दे रहा ध्यान
एक ओर जहां ओवरलोडेड वाहन जिले में परिवहन नियमों की खुल कर धज्जियां उड़ा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ऑटो पर ढोए जा रहे क्षमता से अधिक पैसेंजर सड़क दुर्घटना को खुला निमंत्रण दे रहे हैं। इस ओर विभाग का ध्यान नहीं है। जबकि ओवर लो¨डग के कारण कई बार दुर्घटना भी हो चुकी है। इसमें यात्रियों के साथ-साथ राहगीरों को भी क्षति पहुंची है। परिवहन नियमों की उड़ रही धज्जियां
जिले में परिवहन नियमों की खुल कर धज्जियां उड़ायी जा रही है, क्षमता अधिक भार को वाहनों में ढोना मानो एक फैशन सा बन गया है। बड़े वाहन हो या फिर छोटे वाहन, कोई किसी से कम नहीं है। ओवर लोडेड वाहन न सिर्फ जिले के अन्य सड़कों पर बल्कि नगर निगम जैसे भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में भी बेरोक टोक चल रहे हैं। जिसे विभाग द्वारा रोकना शायद जरुरी नहीं समझा जा रहा है। जबकि इससे न सिर्फ सड़कों की स्थिति खराब हो रही है। बल्कि आए दिन दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। ओवर लो¨डग में ऑटो भी कम नहीं
वैसे तो जिले भर में चल रही सभी छोटे-बड़े वाहनों में क्षमता से अधिक भार ढोये जा रहे हैं। ¨कतु ओवर लो¨डग के मामले में ऑटो भी किसी से कम नहीं है। कहने को तो ऑटो सिर्फ तीन चक्का पर चलने वाला वाहन है। ¨कतु चालकों की मनमनी तथा अधिक पैसे कमाने की लालच में ऑटो को भी मालवाहक बना दिया गया है। इस पर 5-10 ¨क्वटल तक माल को बेखौफ ढोया जा रहा है। हैरत की बात तो यह है कि इस ओवर लो¨डग के खेल को जिला प्रशासन चुपचाप देख रही है। जबकि सड़क दुर्घटना के मामले में ऑटो सबसे अव्वल है।