9 लाख की चोरी के बाद एनआरआइ बन होटल में छुपा था आरोपित, काबू
लकड़ी व्यापारी रोहताष जैन के घर के बाहर से 9.75 लाख रुपये से भरा बैग गाड़ी में से चोरी करने के मामले में थाना सिटी की पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद अब मामले के मुख्य सरगना अशोक कुमार उर्फ सोनू को काबू कर लिया है।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : लकड़ी व्यापारी रोहताष जैन के घर के बाहर से 9.75 लाख रुपये से भरा बैग गाड़ी में से चोरी करने के मामले में थाना सिटी की पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद अब मामले के मुख्य सरगना अशोक कुमार उर्फ सोनू को काबू कर लिया है। पुलिस ने आरोपी से तीन लाख रुपए की बरामदगी भी कर ली है और बाकी बरामदी जल्द करने की उम्मीद जताई है। वारदात के बाद से ही मुख्य सरगना अभी फरार चल रहा था। काबू किए गए अशोक कुमार उर्फ सोनू पुत्र सवरण कुमार निवासी बसंत नगर पर 2008 में चौहाल में एक व्यक्ति के कत्ल का मामला दर्ज भी है। गौतलब है कि अशोक कुमार ने अपने दो साथियों संदीप भट्टी व विश्वनाथ के साथ मिलकर रोहताष जैन के ड्राईवर संदीप कुमार के साथ साजिश रच गाड़ी में से 9.75 लाख रुपये से भरा बैग चुरा लिया था। पहले तीन आरोपित हो चुके हैं काबू
इस मामले में रोहताष जैन ने अपने ड्राईवर संदीप पर शक जाहिर किया था और पुलिस ने जब संदीप को काबू कर उसके पूछताछ की तो सारी गुत्थी सुलझ गई। जिसके बाद पुलिस ने संदीप की निशानदेही पर उक्त दोनों आरोपियों को काबू किया। पुलिस ने अभी तक इस मामले में 30 हजार रुपए रिक्वर किए थे जिनकी पहचान संदीप भट्टी उर्फ मनी पुत्र नरेश कुमार, विश्वनाथ सोनू पुत्र यशपाल दोनों निवासी घंटाघर, संदीप कुमार पुत्र ज्ञान चंद निवासी मोहल्ला प्रेमगढ़ के रुप में हुई थी। एनआरआइ बनकर छुपा हुआ था अशोक
जानकारी देते हुए थाना प्रभारी गो¨बदर ¨सह उर्फ बंटी ने बताया कि वारदात के बाद पहले शहर से फरार हो गया था। उसके बाद वह चौहाल में एक होटल में रुक गया। ताकि किसी को शक न हो। होटल में आरोपी ने अपने आप को कनाडा रिटर्रन बताकर कमरा बुक करवाया था। सारा दिन वह होशियारपुर में घुमता था और रात को घर में पुलिस छापा न मार दे इसलिए होटल में ठहर जाता था। थाना प्रभारी गो¨बदर कुमार ने बताया कि इस दौरान पुलिस को इसकी भनक लग गई और पुलिस ने उसे धोबीघाट के पास के गिरफ्तार कर लिया जब वह होशियारपुर की तरफ आ रहा था। ड्राइवर को दिए थे 20 हजार
एसआइ गो¨बदर कुमार ने बताया कि अशोक ड्राईवर संदीप का दोस्त था और उन्होंने मिलकर इसको अंजाम देने के प्लान बनाया था, चूंकि इस काम को अकेले अंजाम देना थोड़ा मुश्किल था इसलिए अशोक ने अपने दो अन्य साथी संदीप व विश्वनाथ को अपने साथ मिला लिया। जब चोरी को अंजाम दिया तो अशोक ने संदीप व विश्वनाथ को 5-5 हजार रुपए थामा दिए थे और ड्राईवर संदीप को 20 हजार रुपये दिए थे व यह कह कर टाल दिया कि अभी मामला गर्म है और वह कहीं इधर उधर हो जाएं और मामला शांत होते ही वह आपस में पैसे बराबर बराबर बांट लेगें। अशोक बाकी के पैसे लेकर फरार हो गया। इस दौरान संदीप शक के घेरे में आ गया और पकड़ा गया और उसकी निशानदेही पर दूसरे दो आरोपी भी काबू हो गए थे।