दक्षिण भारत का एकाधिकार तोड़ चंदन हब बनने की राह पर होशियारपुर
ोशियारपुर वह दिन दूर नहीं जब होशियारपुर का चंदन पूरी दुनिया को महकाएगा। दक्षि्
जेएनएन, होशियारपुर
वह दिन दूर नहीं जब होशियारपुर का चंदन पूरी दुनिया को महकाएगा। दक्षिण भारत चंदन की खेती के लिए जाना जाता है। मगर, अब पंजाब दक्षिण भारत का एकाधिकार तोड़कर चंदन हब बनने की राह पर है और प्रदेश को चंदन की हब बनाने के लिए होशियारपुर का वन विभाग अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। होशियारपुर से ही प्रदेश के विभिन्न जिलों में चंदन के पौधों की सप्लाई की जा रही है, जिससे चंदन की खुशबू पूरे प्रदेश में महक रही है।
इसके अलावा होशियारपुर से हिमाचल प्रदेश को भी पौधे सप्लाई किए गए हैं, जिससे पंजाब चंदन की खेती के लिए हिमाचल प्रदेश का गुरु साबित होगा। चंदन की खेती के साथ जहां किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, वहीं चंदन से संबंधित उद्योग भी प्रफुल्लित होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चंदन की बहुत मांग है। पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा है कि पंजाब सरकार द्वारा चंदन से संबंधित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जहां किसान चंदन की खेती के साथ आर्थिक तौर पर मजबूत होंगे, वहीं उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि चंदन के तेल का दवाओं, धूप, अगरबत्तियों, साबुन, परफ्यूम आदि में प्रयोग होता है।
उन्होंने कहा कि उनके विभाग की तरफ से चंदन की प्रोसे¨सग के लिए उद्योग व चंदन उत्पादों की मार्केटिंग के लिए विशेष व्यापारिक सुविधाएं मुहैया करवाने जैसे कदम उठाए जाएंगे, ताकि पंजाब चंदन की खेती और चंदन उत्पाद में अग्रणी प्रदेश बन सके।
अरोड़ा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ¨सह के साथ इस बारे में बात करके चंदन उत्पादों संबंधी उद्योग और अन्य व्यापारिक सुविधाएं सुनिश्चित बनाने के लिए यत्न करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चंदन की खेती को उत्साहित किया जा रहा है, जिससे किसान फसली चक्र से निकल कर उन्नत खेती में आकर अपनी आय में और वृद्धि कर सकें।
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मात्र 30 रुपये में चंदन का पौधा
डिप्टी कमिश्नर ईशा कालिया ने बताया कि इस समय तलवाड़ा, जनौड़ी और होशियारपुर स्थित वन विभाग की नर्सरियों में चंदन के पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जो केवल 30 रुपये की कीमत में किसानों को दिए जा रहे हैं। विभाग की तरफ से अब तक 15 हजार से अधिक पौधे फाजिल्का, अबोहर, मुक्तसर, जालंधर, मोगा और अन्य जिलों सहित हिमाचल प्रदेश को सप्लाई किए गए हैं, जबकि विभाग के पास करीब सवा लाख चंदन के पौधे तैयार हैं। उन्होंने बताया कि होशियारपुर के गांव बिछोही के प्रगतिशील किसान कमलजीत ¨सह रंधावा ने 100 पौधे चंदन के लगाए हुए हैं और वे फसली चक्र में फंसे बाकी किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। ईशा कालिया ने बताया कि चंदन का पौधा लगभग 14 साल में तैयार हो जाता है और इस समय चंदन के पेड़ की कीमत करीब डेढ़ लाख रुपये तक है। उन्होंने बताया कि चंदन के पौधे की खास बात यह है कि यह पैरासाइटिक प्लांट है यानी यह अपनी खुराक दूसरे पौधे से लेता है। इसे तैयार होने में समय लगता है। इसलिए किसान इसके साथ-साथ डेक, आम, आंवला और कैजोरिना भी लगा सकते हैं और कम समय के अंतराल में किसानों को आय शुरू हो जाती है।
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चंदन की बाजार में बंपर डिमांड
डीएफओ कुलराज ¨सह ने बताया कि प्रति हेक्टेयर चंदन के करीब 532 पौधे लगाए जा सकते हैं और एक पौधे के साथ 20 किलो अंदरु नी लकड़ी (हार्टवुड ) मिलती है और सातवें साल में हार्टवुड तैयार होनी शुरू हो जाती है। यह लकड़ी बाजार में 4 से 8 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक जाती है। चंदन के पौधे से चार साल बाद ही बीज मिलने शुरू हो जाते हैं, जिससे किसान की अच्छी आय हो जाती है। करीब 14 साल तक इसकी अंदरूनी लकड़ी तैयार हो जाती है और इससे किसान प्रति हेक्टेयर 2.25 करोड़ तक आय ले सकता है। चंदन का तेल करीब पौने तीन लाख रुपये लीटर बिकता है और चंदन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी काफी मांग है। उन्होंने बताया कि वन विभाग की ओर से न सिर्फ किसानों को चंदन के पौधे दिए जा रहे हैं बल्कि इसकी खेती की तकनीक के बारे में भी विस्तार से बताया जा रहा है।