कुछ करने की आस, 70 की उम्र में उर्दू में हासिल कर लिया पहला स्थान
शिक्षा विभाग से अंग्रेजी विषय के सेवानिवृत्त लेक्चरार भारत भूषण को सेवानिवृत्त हुए 10 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन उनमें शिक्षा ग्रहण करने की ख्वाहिश आज भी जिदा है। उन्होंने भाषा विभाग की तरफ से उर्दू के करवाए जाने वाले कोर्स में पहला स्थान हासिल किया है।
रजनीश गुलियानी, होशियारपुर
शिक्षा विभाग से अंग्रेजी विषय के सेवानिवृत्त लेक्चरार भारत भूषण को सेवानिवृत्त हुए 10 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन उनमें शिक्षा ग्रहण करने की ख्वाहिश आज भी जिदा है। उन्होंने भाषा विभाग की तरफ से उर्दू के करवाए जाने वाले कोर्स में पहला स्थान हासिल किया है। उनकी इस उपलब्धि पर भाषा विभाग ने उन्हें एक हजार का नकद पुरस्कार दिया।
भारत भूषण शर्मा ने बताया कि उर्दू अदब की भाषा है। इसका जन्म अरबी, फारसी तथा हिन्दुस्तानी भाषाओं के आपसी मेलजोल से हुआ है। जो इस उपमहाद्वीप की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जरूरतों की वजह से परवान चढ़ी। यह एक जुबान ही नहीं है, एक संस्कृति भी है, जिसने हर दौर में अपने होने का अहसास कराया है। यह अहसास आज भी जिदा है, जो इसे सीखने और बोलने के लिए आकर्षित करता है।
यूके में जब कमलजीत सिंह धामी और सांवल धामी को सोशल साइट से भारत भूषण शर्मा की इस आयु में यह उपलब्धि हासिल करने के बारे में मालूम पड़ा तो उन्हें अलग तौर पर नकद राशि दे पुरस्कृत किया है। सांवल धामी ने बताया कि वह खुद उर्दू भाषा से लगाव रखते हैं और जब उन्हें पता चला कि एक सेवानिवृत्त अध्यापक उर्दू में प्रथम आया है तो उन्होंने भारत भूषण शर्मा से भेंट करने की सोची। भारत भूषण की इस उपलब्धि पर रोटरी नॉर्थ के सदस्यों ने उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया। पूरी जानकारी ने होने पर लुत्फ नहीं उठा पाते लोग
भारत भूषण शर्मा कहते हैं शेरोशायरी की मिठास और शहंशाहों के हुकूमती अंदाज से सजी उर्दू आम आदमी को आकर्षित तो करती है, पर इसकी जानकारी न होने के कारण वे पूरी तरह से इसका लुत्फ नहीं उठा पाते। लोगों को उर्दू सिखाने के लिए सरकारी व कुछ निजी संस्थाएं आगे आकर कार्य कर रही हैं। वे उर्दू सर्टिफिकेट कोर्स पार्ट टाइम में सिखा रही हैं। इससे उर्दू की जानकारी के साथ-साथ करियर के मुकाम भी खुल रहे हैं। तीन भागों में बांटा गया है पाठ्यक्रम
उर्दू सर्टिफिकेट एक शॉर्ट टर्म कोर्स है, जो मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित करके पढ़ाया जाता है। प्रथम भाग में उर्दू वर्णमाला, मात्राओं और मूलभूत आधारों से परिचित कराया जाता है। लिखने के तरीके से अवगत कराना प्रथम भाग से ही शुरू होता है। द्वितीय भाग में कहानियां, कविताएं, प्रार्थना पत्रों के लिखने के बारे में बताया जाता है। तृतीय भाग में पुराने और आधुनिक लेखकों द्वारा लिखित लेखों, निबंधों इत्यादि के प्रश्न-उत्तर के माध्यम से पढ़ाया जाता है।