Move to Jagran APP

कुछ करने की आस, 70 की उम्र में उर्दू में हासिल कर लिया पहला स्थान

शिक्षा विभाग से अंग्रेजी विषय के सेवानिवृत्त लेक्चरार भारत भूषण को सेवानिवृत्त हुए 10 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन उनमें शिक्षा ग्रहण करने की ख्वाहिश आज भी जिदा है। उन्होंने भाषा विभाग की तरफ से उर्दू के करवाए जाने वाले कोर्स में पहला स्थान हासिल किया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 12:39 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 12:39 AM (IST)
कुछ करने की आस, 70 की उम्र में उर्दू में हासिल कर लिया पहला स्थान
कुछ करने की आस, 70 की उम्र में उर्दू में हासिल कर लिया पहला स्थान

रजनीश गुलियानी, होशियारपुर

loksabha election banner

शिक्षा विभाग से अंग्रेजी विषय के सेवानिवृत्त लेक्चरार भारत भूषण को सेवानिवृत्त हुए 10 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन उनमें शिक्षा ग्रहण करने की ख्वाहिश आज भी जिदा है। उन्होंने भाषा विभाग की तरफ से उर्दू के करवाए जाने वाले कोर्स में पहला स्थान हासिल किया है। उनकी इस उपलब्धि पर भाषा विभाग ने उन्हें एक हजार का नकद पुरस्कार दिया।

भारत भूषण शर्मा ने बताया कि उर्दू अदब की भाषा है। इसका जन्म अरबी, फारसी तथा हिन्दुस्तानी भाषाओं के आपसी मेलजोल से हुआ है। जो इस उपमहाद्वीप की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जरूरतों की वजह से परवान चढ़ी। यह एक जुबान ही नहीं है, एक संस्कृति भी है, जिसने हर दौर में अपने होने का अहसास कराया है। यह अहसास आज भी जिदा है, जो इसे सीखने और बोलने के लिए आकर्षित करता है।

यूके में जब कमलजीत सिंह धामी और सांवल धामी को सोशल साइट से भारत भूषण शर्मा की इस आयु में यह उपलब्धि हासिल करने के बारे में मालूम पड़ा तो उन्हें अलग तौर पर नकद राशि दे पुरस्कृत किया है। सांवल धामी ने बताया कि वह खुद उर्दू भाषा से लगाव रखते हैं और जब उन्हें पता चला कि एक सेवानिवृत्त अध्यापक उर्दू में प्रथम आया है तो उन्होंने भारत भूषण शर्मा से भेंट करने की सोची। भारत भूषण की इस उपलब्धि पर रोटरी नॉर्थ के सदस्यों ने उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया। पूरी जानकारी ने होने पर लुत्फ नहीं उठा पाते लोग

भारत भूषण शर्मा कहते हैं शेरोशायरी की मिठास और शहंशाहों के हुकूमती अंदाज से सजी उर्दू आम आदमी को आकर्षित तो करती है, पर इसकी जानकारी न होने के कारण वे पूरी तरह से इसका लुत्फ नहीं उठा पाते। लोगों को उर्दू सिखाने के लिए सरकारी व कुछ निजी संस्थाएं आगे आकर कार्य कर रही हैं। वे उर्दू सर्टिफिकेट कोर्स पार्ट टाइम में सिखा रही हैं। इससे उर्दू की जानकारी के साथ-साथ करियर के मुकाम भी खुल रहे हैं। तीन भागों में बांटा गया है पाठ्यक्रम

उर्दू सर्टिफिकेट एक शॉर्ट टर्म कोर्स है, जो मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित करके पढ़ाया जाता है। प्रथम भाग में उर्दू वर्णमाला, मात्राओं और मूलभूत आधारों से परिचित कराया जाता है। लिखने के तरीके से अवगत कराना प्रथम भाग से ही शुरू होता है। द्वितीय भाग में कहानियां, कविताएं, प्रार्थना पत्रों के लिखने के बारे में बताया जाता है। तृतीय भाग में पुराने और आधुनिक लेखकों द्वारा लिखित लेखों, निबंधों इत्यादि के प्रश्न-उत्तर के माध्यम से पढ़ाया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.