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कैलाश पर्वत का आभास करवाता है गगन जी का टिल्ला शिव मंदिर

शिवालिक की पहाड़ियों में गांव सहोड़ा में बसा गगन जी का टिल्ला शिव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हर साल लाखों श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। यह पंजाब का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। ि

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 03:45 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 05:15 AM (IST)
कैलाश पर्वत का आभास करवाता है गगन जी का टिल्ला शिव मंदिर

सरोज बाला, दातारपुर

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शिवालिक की पहाड़ियों में गांव सहोड़ा में बसा गगन जी का टिल्ला शिव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हर साल लाखों श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। यह पंजाब का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। टिल्ले पर स्थित मंदिर में जाने के लिए 762 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां पर दसूहा से 15 किलोमीटर, हाजीपुर से छह किलोमीटर व दातारपुर से सात किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचा जा सकता है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर को लेकर अलग-अलग कथाएं हैं। सबसे प्रचल्लित कथा के अनुसार पांडवों को जब 13 वर्ष का वनवास हुआ था तो वह विराट नगरी जो आज दसूहा के नाम से प्रचल्लित है में ठहरे थे। वह अज्ञातवास के दौरान मंदिर में द्रौपदी सहित पूजा अर्चना करने के लिए आते थे। पांडवों ने ही यहां पर शिवालय की स्थापना की थी।

सावन में मेले जैसा माहौल

सीढि़यां समाप्त होते ही आलौकिक एवं मनमोहक नजारा सामने होता है। एक ओर, शिवालिक की हरी भरी वादियां, तो दूसरी तरफ उत्तर दिशा में धौलाधार की बर्फ से ढकी पहाड़ियां और दक्षिण में लहलहाता पंजाब का हरा भरा क्षेत्र दिखाई देता है। सावन महीने में यहां हर रोज हजारों लोग आते हैं। दसूहा, दातारपुर, हाजीपुर व मुकेरियां अन्य शहरों से प्रात: निश्शुल्क बसें आती हैं। मंदिर के कपाट पहले पहर खुल जाते हैं और तड़के तीन बजे से सैकड़ों की तादाद में भक्त शिवपूजन करते हैं।

शिवरात्रि को भी रहती है भक्तों की धूम

सावन के साथ-साथ शिवरात्रि को भी यहां लाखों की तादाद में भक्त पहुंचते हैं। शिवरात्रि को चार पहर की पूजा और दूसरे दिन विशाल भंडारा यहां का मुख्य कार्यक्रम है। इस बारे में महंत शिवगिरी ने बताया कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। मंदिर के साथ जुड़े मुकेश रंजन ने बताया, मंदिर में सभी प्रकार की व्यवस्था महंत शिवगिरी व प्रबंधक समिति करती है।


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