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बारिश से धान, आलू व मटर की अगेती फसल बर्बाद

दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण यहां लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। वहीं किसानों द्वारा खेतों में बोई हुई फसलों को भी भारी नुक्सान पहुंचा है। पहाड़ी इलाकों से बहकर आए चोअ में पानी से मैदानी इलाकों में किसानों द्वारा बोई फसलों में पानी खड़ा हो गया है। जिसके यहां चलते धान की फसल को नुक्सान

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 05:28 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 05:28 PM (IST)
बारिश से धान, आलू व मटर की अगेती फसल बर्बाद
बारिश से धान, आलू व मटर की अगेती फसल बर्बाद

संवाद सहयोगी, माहिलपुर/गढ़शंकर

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तीन दिन से लगातार हो रही मूसलधार बारिश के कारण लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं किसानों द्वारा खेतों में बोई हुई फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। पहाड़ी इलाकों से बहकर आए चोअ के पानी से मैदानी इलाकों में किसानों द्वारा बोई फसलों में पानी खड़ा हो गया है। जिसके यहां चलते धान की फसल को जहां नुकसान पहुंचा है। वहीं आलू व मटर की अगेती फसल लगभग बर्बाद हो गई है।

आलू और हरे मटरों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध दोआबा क्षेत्र में सितंबर माह के दूसरे हफ्ते से चब्बेवाल व गढ़शंकर क्षेत्र के किसान अपने खेतों में अगेती फसल के रूप में आलू और मटर की बुआई कर देते है। जिसके फलस्वरुप उन्हें अपनी उपज का अच्छे मूल्य प्राप्त होता है। इस साल अच्छी बरसात होने के कारण क्षेत्र के किसानों द्वारा महंगे भाव से खरीद कर आलू, मटर के बीज और महंगी खादों को खेतों में डालकर अच्छी पैदावार और बढि़या मूल्य मिलने की उम्मीद से बुआई की थी। मगर, गत तीन दिन से हुई बारिश के कारण उनके द्वारा बोई हुई मटर और आलू की फसल बर्बाद हो गई है। जिसके चलते अब जहां बाजार में मटर और आलू की फसल लेट पहुंचेगी। वहीं लोगों को इसे महंगे भाव में भी खरीदना पड़ सकता है। किसान अगेती मटर और आलू की बुआई दूसरे हफ्ते से लेकर अक्टूबर के दूसरे हफ्ते तक करते हैं। आलू व मटर की अगेती फसल बर्बाद होने से किसानों पर फिर से महंगे भावों से बीज खरीदने के कारण कर्ज चढ़ने की संभावना बढ़ गई है।

उधर, इस बारे में खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारी डॉ. भूपेंद्र ¨सह ने बताया कि इस बारिश से हर प्रकार की फसल धान, कमाद, पेठा, सब्जियों सहित किसानों द्वारा बोई मटर और आलू की फसल पूरी तरह से बर्बाद होने का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि इससे पहले 1988 को 30 सितंबर को भारी बारिश आने के कारण बाढ़ की स्थिति बन गई थी। जिसके कारण भारी नुकसान हुआ था।


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