सच्चे मन से पुकारें तो भगवान करते हैं मदद : महंत
मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में धार्मिक समागम करवाया गया।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए तपोमूर्ति महंत राज गिरी जी ने कहा कि हम मंदिर में जाकर प्रार्थना तो करते हैं, लेकिन हमारा ध्यान मंदिर में न होकर दुनिया में भ्रमण कर रहा होता है। उन्होंने कहा हम प्रभु के चरणों में बैठकर भी उनसे दूर रहते हैं और विषयों विकारों में ही हमारा मन भटकता रहता है जिससे हम उपासना की जगह वासना के चक्कर में फंसे रहते हैं और भगवान को स्मरण नहीं करते परंतु जब हमें दुखों का सामना करना पड़ता है तो हमें फिर भगवान की याद आती है। चाहिए तो यह की हम हर समय ईश्वर का ध्यान करें और सत्कर्म करें। उन्होंने कहा हमें चाहिए कि जब सुख हो तो भी समर्पण भाव से एकाग्रचित होकर भगवान की प्रार्थना करें। जिससे प्रसन्न होकर प्रभु हम पर कृपा करें इससे हमें आने वाले दुखों को भगवान स्वयं हारते हैं। महंत जी ने कहा फिर भी संकट आने पर जब भगवान के भक्त पुकार करते हैं तो भगवान उनके दुखों को हरने के लिए दौड़े चले आते हैं। स्वामी जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह हाथी ने जब उसे मगरमच्छ ने पकड़ लिया था तो उसने सच्चे मन से भगवान को पुकारा तो भगवान ने उनका दुख हरा और उसे संकट से मुक्त किया। इसी तरह जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था द्रौपदी ने अपने पति अर्जुन, भीम, युद्धिष्ठिर, नकुल सहदेव को देखा जो बड़े पराक्रमी थे परंतु वह उसकी मदद नहीं कर सके, परेशान और निराश होकर द्रौपदी ने जब भगवान को स्मरण किया तो भगवान श्रीकृष्ण ने भरी सभा में आकर उनकी लाज बचाई थी। उन्होंने कहा भगवान् आते हैं पर हम उन्हें बुलाते ही नही श्रद्धा रखते ही नहीं। उन्होंने कहा मनुष्य जीवन प्रभु भक्ति, सत्संग, सत्कर्म और परोपकार करने से ही संवरता है, इसलिए धर्मपूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए।
इस अवसर पर रमन गोल्डी, डॉ रविन्द्र सिंह, राजिंद्र मेहता ,अजय शास्त्री ,बनवारी लाल, पूजा, दर्शना देवी मौजूद रहे।