मेहमानों पर नजर रखने के लिए 140 को पहनाए रिग
ब्यास नदी पर बने एशिया के सबसे बड़े मिट्टी की दीवार निर्मित पौंग बांध में पक्षियों के रिंग पहनाए।
सरोज बाला, दातारपुर : ब्यास नदी पर बने एशिया के सबसे बड़े मिट्टी की दीवार निर्मित पौंग बांध स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में मेहमान परिदों के आने का क्रम जारी है। विभिन्न प्रजातियों के उक्त परिदे साइबेरिया, मध्य एशिया, अफ्रीका, तिब्बत रूस तथा अन्य देशों से हजारों किलोमीटर के सफर के बाद मध्य अक्टूबर से मार्च तक इस झील के आशियाने बनाते हैं और मौसम बदलते ही वतन वापसी पर चले जाते हैं। इनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विगत चार दिन इनमें से कुछ पक्षियों को पकड़कर इन्हें रिग पहनाए गए हैं।
वन्य जीव संरक्षण विभाग के डीएफओ राहुल रोहाणे ने बताया कि चार दिन चले अभियान में 29 प्रजातियों के 140 मेहमान परिदों को रिग पहनाए गए। रोहाणे ने बताया कि इसके अतिरिक्त विलुप्त होती जा रही गिद्धों की प्रजाति के चार गिद्धों को भी ट्रांसमीटर छल्ले पहनाए गए हैं। रोहाणे ने कहा कि जनवरी के आखिर में उनके नेतृत्व में विभिन्न टीमें पूरी झील में पक्षियों की गणना करेंगी जिससे पता चलेगा कि झील में कितनी प्रजातियों के कितने प्रवासी पक्षियों ने आशियाना यहां बनाया है। उन्होंने बताया 307 वर्ग किलोमीटर में फैली इस विशाल झील में पिछले साल यहां पांच हजार से अधिक पक्षियों की बर्ड फ्लू से मौत हुई थी परंतु इस साल ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है।
पक्षियों की गतिविधियों पर रखी जाएगी स्टीक नजर
राहुल रोहाणे ने बताया कि प्रवासी पक्षियों सहित स्थानीय पक्षियों की गतिविधि पर नजर रखने व ये पक्षी दोबारा भी आते हैं या नहीं, इसी मकसद से हर साल पक्षियों को छल्ले पहनाए जाते हैं। राहुल रोहाणे ने बताया कि पौंग झील में 114 से भी ज्यादा स्थानीय व विदेशी प्रजातियों के हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि वन्य जीव संरक्षण विभाग इन प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह सावधानी बरत रहे है और बर्ड फ्लू की आशंका के चलते एहतियात के तौर पर आसपास के गांवों में वन्यप्राणी विभाग के कर्मचारी लोगों को जागरूक कर रहे हैं।