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नहर की मुरम्मत से परेशान किसानों ने किया प्रदर्शन

छह माह से मुरम्मत के लिए बंद पड़ी कंडी नहर से किसान परेशानी में हैं। कछुआ चाल से रहे कार्य के कारण सिचाई नहीं हो रही। पहले आस थी कि बरसात से कुछ समस्या का हल हो जाएगा लेकिन मानसून कमजोर रहा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Aug 2021 05:10 PM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 07:11 AM (IST)
नहर की मुरम्मत से परेशान किसानों ने किया प्रदर्शन

संवाद सहयोगी, दातारपुर : छह माह से मुरम्मत के लिए बंद पड़ी कंडी नहर से किसान परेशानी में हैं। कछुआ चाल से रहे कार्य के कारण सिचाई नहीं हो रही। पहले आस थी कि बरसात से कुछ समस्या का हल हो जाएगा लेकिन मानसून कमजोर रहा। इस कारण फसलें बर्बाद होने के कगार पर हैं। इससे आहत रविवार को किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और बर्बाद हुई फसलों की गिरदावरी करवाने की मांग की। पूर्व चेयरमैन दलजीत सिंह जीतू ने मांग की कि स्पेशल गिरदावरी करवा कर किसानों के नुकसान का जायजा लिया जाए और उन्हें मुआवजा दिया जाए।

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पंजाब किसान मोर्चा के प्रधान विक्रमजीत सिंह चीमा ने कहा, 17 मार्च को नहर मुरम्मत के लिए तीस अप्रैल तक बंद की गई थी और इसके साथ ही मुकेरियां हाइडल नहर भी बंद की गई थी। मुकेरियां हाइडल नहर की मरम्मत तय समयसीमा में पूरी कर दी गई और वह सिचाई व बिजली उत्पादन पूरी क्षमता से कर रही है। इसके बावजूद कंडी नहर का काम छह महीने में भी अधूरा है। उन्होंने बताया कि कंडी नहर में पानी उपलब्ध नहीं होने के कारण 15 गांवों में लिफ्ट इरीगेशन योजना बंद है। इसके कारण फसलों की सिंचाई नहीं हो रही। इस अवसर पर संजीव मिन्हास, अशोक सभरवाल, शाम सिंह, करनैल सिंह, कैप्टन मुख्तयार सिंह जुगियाल, डा. प्रदीप सिंह उपस्थित थे।

हजारों एकड़ जमीन पर धान की काश्त नहीं हो पाई

चीमा ंव जीतू ने कहा,गढ़शंकर तक हजारों ऐसे किसान हैं जिनकी हजारों एकड़ जमीन पर धान की काश्त नहीं हो सकी क्योंकि नहर में पानी नहीं है। भाजपा मंडल अध्यक्ष अनिल वसिष्ठ ने कहा कि कंडी नहर हर फसल को समय पर धोखा दे जाती है और फिर मुरम्मत का सिलसिला शुरू हो जाता है। इससे पहले भी स्वर्गीय अमरजीत सिंह साही ने पंद्रह किलोमीटर तक नहर में कंक्रीट की स्लैब डलवाई थी और अब फिर जीरो आरडी से पांच हजार आरडी तक पंद्रह करोड़ रुपये की लागत से लाइनिग को कंक्रीट की बनाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्रभावित किसानों को बीस हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए और नहर की मुरम्मत शीघ्र करवाकर पानी छोड़ा जाए।


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