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डॉक्टरी की आड़ में बेचता था नशा, रंगेहाथ पकड़ा

डॉक्टरी की आड़ में नशे का कारोबार करने वाले झोला छाप डॉक्टर को थाना मॉडल टाउन पुलिस ने काबू किया है। पुलिस ने आरोपित को ट्रैप लगाकर उस समय पकड़ा जब प्रतिबंधित नशीली गोलियां सप्लाई करने जा रहा था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 11:29 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 11:29 PM (IST)
डॉक्टरी की आड़ में बेचता था नशा, रंगेहाथ पकड़ा
डॉक्टरी की आड़ में बेचता था नशा, रंगेहाथ पकड़ा

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : डॉक्टरी की आड़ में नशे का कारोबार करने वाले झोला छाप डॉक्टर को थाना मॉडल टाउन पुलिस ने काबू किया है। पुलिस ने आरोपित को ट्रैप लगाकर उस समय पकड़ा जब प्रतिबंधित नशीली गोलियां सप्लाई करने जा रहा था। आरोपित से 206 नशीली गोलियां बरामद हुई हैं। आरोपित की पहचान नरेश कुमार पुत्र चंद्रभान निवासी मकान नंबर 194, मोहल्ला हरी नगर थाना सिटी के रूप में हुई है। वह नजदीकी गांव चग्गरां में क्लीनिक चलाता था और पिछले लंबे समय से नशेड़ियों को नशा सप्लाई कर रहा था। पुलिस ने उसकी ऑल्टो कार भी कब्जे में ली है। मॉडल टाउन की पुलिस ने आरोपित को नाकेबंदी के दौरान काबू किया है। आरोपित से पूछताछ जारी है। उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आ रहा था आरोपित सिविल अस्पताल व आस पास के इलाकों में यह नशा सप्लाई करता था। सिविल अस्पताल के आसपास भी बेचता था नशा

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आरोपित नरेश कुमार डॉक्टरी की आड़ में पहले तो चग्गरां के इलाके में नशीली गोलियां व नशीले टीके सप्लाई करता था लेकिन बाद में अस्पताल के आसपास भी सप्लाई करने लगा। हर रोज नशा छुड़ाओ केंद्र में दवाई लेने के लिए आने वाले युवाओं को यह नशीली गोलियां बेचता था। पुलिस सूत्रों की माने तो पिछले लंबे समय से पुलिस आरोपी की तलाश में थी। पहले भी बच निकला था झोलाछाप

पुलिस सूत्रों की मानें तो पुलिस को लंबे समय से इसकी तलाश थी और आरोपित को काबू करने के लिए लगातार ट्रेप लगा रही थी पर वह हर बार बच निकलता था। पुलिस ने एक बार तो इसको रंगेहाथ पकड़ने के लिए इसकी दुकान पर भी छापेमारी की थी परंतु उस दिन समय रहते इसको सूचना मिल गई थी और जब-तक पुलिस पहुंचती वह दुकान से खिसक गया था। महंगे दामों पर बेचता था नशा

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आरोपी हिमाचल के इलाके से भारी मात्रा में प्रतिबंधित नशीली दवाईयां खरीदता था और मोटे दामों पर बेच कर तगड़ा मुनाफा कमा रहा था। जो दवाई का पता मात्र 10 से 15 रुपए में मिलता है वह उसे 150 रुपए तक प्रति पते के हिसाब से बेचता था। चूंकि हिमाचल के इलाके में मेडिसन की भारी तादाद में कंपनियां है और यह वहीं से डॉक्टरी आड़ में दवाईं लाता था और नशेड़ियों को लंबे समय से सप्लाई करता था।


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