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धान की पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन वचनबद्ध: डीसी

जिले में धान की पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह वचनबद्ध है। इस लिए जहां किसानों को पराली के सही प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीने मुहैया करवाई जा रही है वहीं जागरुकता अभियान भी लगातार जारी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 10:46 PM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 10:46 PM (IST)
धान की पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन वचनबद्ध: डीसी

जागरण टीम, होशियारपुर: जिले में धान की पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह वचनबद्ध है। इस लिए जहां किसानों को पराली के सही प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीने मुहैया करवाई जा रही है, वहीं जागरुकता अभियान भी लगातार जारी है। उक्त जानकारी डीसी अपनीत रियात ने दी। उन्होंने किसानों को पराली न जलाने के स्थान पर उसका मशीनरी के साथ खेतों में ही सही प्रबंध करने की अपील की है। बिना सुपर एसएमएस वाली कंबाइन हारवेस्टर के इस्तेमाल के बाद खेत में पड़े धान की पराली को किसानों की ओर से आम तौर पर आग लगा दी जाती है। जिससे धरती की उपजाऊ शक्ति, मानवीय स्वास्थ्य व अन्य जीव जंतुओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है व वातावरण भी प्रदूषित होता है।

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प्रदेश में किसानों विशेष तौर पर बहु गिनती छोटे व सीमांत किसानों के लिए सरकार की ओर से इन मशीनों को किराए पर लेने के लिए वाजिब रेट निर्धारित किए गए हैं। कस्टम हायरिग सैंटरों व उनके पास उपलब्ध मशीनों की सूची संबंधित ब्लाक कृषि कार्यालय से संपर्क कर ली जा सकती है। इसके अलावा सरकार की ओर से रिमोट सैसिग सैंटर लुधियाना की सहायता से मशीनों की उपलब्धता दर्शाने के लिए एक मोबाइल एप आई-खेत पंजाब भी तैयार किया गया है। जिसमें किसानों अपने आपको रजिस्टर कर अपनी लोकेशन से कुछ किलोमीटर की सीमा के अंदर उपलब्ध कस्टम हायरिग सैंटरों व उनके पास उपलब्ध मशीनों का विवरण प्राप्त कर मशीनों को किराए पर बुक करवा सकते हैं। मुख्य कृषि अधिकारी डा. विनय कुमार ने बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान इन सीटू सीआरएम व समैम स्कीमों के अंतर्गत जिले में फसलों के अवशेष विशेष तौर पर धान की पराली के प्रबंधन के लिए 1325 मशीने किसानों को सब्सिडी पर मुहैया करवाई गई है। जिनमें से 290 मशीनें निजी किसानों, 399 मशीनें सहकारी सभाओं, एक मशीन ग्राम पंचायत व 635 मशीनें कस्टम हायरिग सैंटर स्थापित करने वाले किसान समूहों के पास उपलब्ध है। सहायक कृषि इंजीनियर लवली ने बताया कि इन 1325 मशीनों में से 63 सुपर एसएमएस, 218 हैप्पी सीडर, 230 सुपर सीडर, 244 रिवर्सिबल मोल्ड बोर्ड प्लाओ(पलटावां हल), 101 मल्चर, 77 पैडी स्ट्रा चौपर,171 रोटावेटर, 15 रोटरी सलैशर, 15 कटर कम स्प्रैडर, 177 जीरो टिल ड्रिल, 7 बेलर व 7 स्ट्रा रेक शामिल हैं। जिले में फसलों के अवशेषों को आग लगाने के बारे में किसानों व आम लोगों को जागरुक करने के लिए जागरुकता अभियान शुरु किया गया है। जिसके अंतर्गत समूह ब्लाकों के गांवों में किसान प्रशिक्षण कैंप लगाए जा रहे हैं। इस वर्ष भी सरकार की ओर से मिशन कामयाब किसान, खुशहाल पंजाब के अंतर्गत पराली का सुचारु निपटारा करने वाली मशीनों पर सब्सिडी मुहैया करवाने के लिए अब तक कुल 559 आवेदकों को 867 मशीनों के लिए जिनमें से कुल 15 सहकारी सभाओं को 39, ग्राम पंचायतों को चार मशीनें, 386 निजी किसानों को 386 मशीनें व 155 रजिस्टर्ड किसान समूहों को 438 मशीनों के लिए मंजूरी जारी की गई है, ताकि मशीनों के माध्यम से पराली की संभाल कर वातावरण पर पड़ते दुष्प्रभावों को रोका जा सकें।


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