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रोजाना 25 हजार लोगों का पेट भरी रही सोसायटी

धन धन श्री गुरु राम दास साहिब लंगर सेवा सोसायटी सेवा स्थान पुरहीरां की ओर से मानवता की सेवा के लिए ऐसे मुश्किल हालातों में भी जरुरतमंदों तक खाना पहुंचाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 11:11 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 11:11 PM (IST)
रोजाना 25 हजार लोगों का पेट भरी रही सोसायटी
रोजाना 25 हजार लोगों का पेट भरी रही सोसायटी

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : धन धन श्री गुरु राम दास साहिब लंगर सेवा सोसायटी सेवा स्थान पुरहीरां की ओर से मानवता की सेवा के लिए ऐसे मुश्किल हालातों में भी जरुरतमंदों तक खाना पहुंचाया जा रहा है। सोसायटी की ओर से अत्याधुनिक तरीके से मशीनों के माध्यम से लंगर तैयार कर लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इस दौरान यह विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि लंगर पकाते व वितरित करते समय सफाई का पूरा ध्यान रखा जाए। धन-धन श्री गुरु रामदास जी लंगर सेवा सोसायटी की तरफ से की जा रही निशुल्क लंगर सेवा अपने -आप में एक बेमिसाल कदम है। धन-धन श्री गुरु रामदास जी लंगर सेवा सोसायटी की ओर से ऐसी परिस्थिति के दौरान मानवता की सेवा के लिए आगे आना प्रशंसनीय प्रयास है।

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सोसायटी के मुख्य सेवादार बाबा मंजीत सिंह ने बताते हैं कि सोसायटी की ओर से 6 गाडि़यों के माध्यम से रोजाना 25 हजार लोगों तक लंगर उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स. बूटा सिंह व स. गुरलियाकत सिंह की निगरानी में, जिसमें सिविल अस्पताल होशियारपुर, शहर के पुलिस नाकों के अलावा सुंदर नगर, गांव अज्जोवाल, बलवीर कालोनी, भंगी चोअ में बनी बस्तियों में लंगर उपलब्ध करवाया जा रहा है।

बाबा मंजीत सिंह ने कहा कि सोसायटी क‌र्फ्यू लगने से पहले पंजाब के अलग-अलग जिलों में निशुल्क भोजन भेजा जा रहा था और अब क‌र्फ्यू के कारण जिला प्रशासन की मदद से होशियारपुर में अलग-अलग स्थानों पर लंगर सेवा की जा रही है, जिसमें रोटी, चावल, दाल, सब्जी आदि होती है। उन्होंने कहा कि इस लंगर का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। शुरू में दूसरे जिलों के लिए भी जाता था लंगर

उन्होंने बताया कि इस सेवा स्थान से फरवरी 2019 से माझा व दोआबा के लगभग सभी सिविल अस्पतालों जिनमें सिविल अस्पताल गुरदासपुर, बटाला, होशियारपुर, जालंधर, नवांशहर के अलावा अन्य स्थानों के लिए लंगर सेवा शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत रोजाना 58 हजार लोगों के लिए लंगर तैयार किया जाता था और इस स्थान से भी रोजाना दो हजार के करीब संगत की ओर से लंगर प्रसाद ग्रहण किया जाता था।


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