किसानों को सुविधा देने के दावे हवा, अब ऑनलाइन पेमेंट के चक्कर में हो रहे किसान परेशान
कोई समय था जब किसान मंडी में अपनी फसल लेकर जाता था और अपनी फसल बेच कर बड़ी खुशी से घर लौटता था।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर
कोई समय था जब किसान मंडी में अपनी फसल लेकर जाता था और अपनी फसल बेच कर बड़ी खुशी से घर लौटता था। मौके पर ही फसल की पेमेंट मिल जाने की खुशी उसके चेहरे से झलकती थी। पर अब किसान का मंडी में जाना किसी मुसीबत से कम नहीं है। मंडी में किसान सरकार के सुविधाओं के दावे के उलट परेशान होता है। पहले तो किसान मूलभूत सुविधाओं को लेकर परेशान था लेकिन अब एक और परेशानी किसानों को सता रही है वह है आनलाइन पेमेंट। किसानों को यही नहीं पता चल रहा है कि उनके खाते में कब आनलाइन पेमेंट आएगी। मंडी में धान की आमद लगातार हो रही है और लिफ्टिग धीमीगति से चल रही है। इससे हिसाब लगाया जा सकता है कि सरकार लिफ्टिग को लेकर कितनी गंभीर है, हालांकि सरकारी दावे इसके उल्ट हैं। दावे किए जा रहे हैं कि सब काम सही ढंग से चल रहा है। पर दावे हकीकत से कोसों दूर हैं। मूलभूत सुविधाएं दावों के बाद भी नहीं मिल रही हैं, जो भी सुविधा है वह किसानों को आढ़तियों से ही मिल रही है। कुल मिलाकर किसानों के लिए सरकार के पास अपने स्तर पर एक घूंट पानी पिलाने तक का प्रबंध नहीं है। यह इस बार के हालत नहीं है हर बार जब भी फसल की आमद होती है मौके पर सरकारी नुमाइंदे आते हैं दावे करते हैं। ऐसा पेश किया जाता है जैसे सबकुछ तैयार है और कोई परेशानी की तो बात ही नहीं है। सारा चकाचक है पर खरीद के आधे ही घंटे में यानी सरकारी नुमाइंदे के लौटते ही सारे दावों की हवा निकल जाती है। इसमें यह कहना गलत नहीं है कि किसानों को इन हवाई दावों की आदत पड़ चुकी है। किसान भलीभांति जानते हैं यह कार्यक्रम केवल फोटो खिचवाने तक ही सीमित है। आदत पड़ गई है, लेने देना क्या है पानी तक तो आढ़ती से मिलता है : मनजीत सिंह
हालटा से अपनी फसल लेकर मंडी में पहुंचे मनजीत सिंह ने बताया कि जब से मंडी में आ रहा हूं, तब से यह बात सुनता हूं, चुनावों में भी लीडरों के यह दावे व वादे होते, एक एक दाना खरीदा जाएगा, लिफ्टिग सही हो, कोई समस्या नहीं होने दी जाएगी। पर यह दावे हर बार दावे ही होते हैं। कोई यह तो बताए क्या किसान के लिए मंडी में आज तक पानी का एक घूंट तक मुहैया करवाया गया है। शोषण हो रहा है बस दावे नाम के : जदगीश कुमार
जगदीश कुमार जो सैंचा से अपनी फसल लेकर आया है ने बताया कि वह दाना मंडी में इसलिए आया है कि यहां पर फसल बिक जाती है यदि कोई और हल हो तो वह मंडी में कभी न आए। किसानों की मजबूरी बन चुकी हैं यह मंडियां। न कोई सुविधा न कोई सही सिस्टम कुल मिलाकर सारा काम फ्लाप शो है। कभी नमी का रफड़ा है कभी बीमारी का बहाना, कुल मिलाकर किसान को परेशान किया जाता है। कहते हैं आनलाइन पैसे आएंगे, यह अब धान का भी गन्ने वाला हाल करेगें : बलविदर सिंह
सरहाला से अपनी धान की फसल लेकर आए बलविदर सिंह ने बताया कि पहले आढ़ती को फसल देते थे पैसे उसी समय मिल जाते थे अब सरकार कहती हैं कि पेमेंट आनलाइन होगी, यह किसानों के हित में हैं। चलो हम एक मिनट के लिए मान लेते हैं कि यह किसानों की सुविधा के लिए। पर सवाल यह है कि यह कितना कारगर होगा। बलविदंर ने बताया कि ऐसा लगता है कि कहीं गन्ने वाले हालात सरकार अन्य फसलों के न कर दे। कई कई माह बीत जाने पर भी गन्ने की पैमेंट नहीं आते किसान जमकर परेशान होते हैं। यानी सरकार अब आन लाईन के चक्कर में भी किसानों को तंग करने के मुड़ में है।