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ब्लड बैंक में थमी रक्तदान की रफ्तार

होशियारपुर कोरोना वायरस के प्रकोप से जनजीवन का पहिया ठप है। इसने अब ब्लड बैंक में रक्तदान की रफ्तार भी कम कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 11:23 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 11:23 PM (IST)
ब्लड बैंक में थमी रक्तदान की रफ्तार

हजारी लाल, होशियारपुर : कोरोना वायरस के प्रकोप से जनजीवन का पहिया ठप है। इसने अब ब्लड बैंक में रक्तदान की रफ्तार भी कम कर दी है। लिहाजा सरकारी अस्पताल होशियारपुर के ब्लड बैंक में वक्त की नजाकत से रक्त की कमी खलने लगी है, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते रक्तदानी संपर्क नहीं साध रहे हैं। हालांकि अभी तो जैसे-तैसे रक्त का काम चलाया जा रहा है, लेकिन और ज्यादा मांग होने पर लोगों को रक्त के लिए इधर-उधर भागना पड़ेगा। कोरोना वायरस के मद्देनजर रक्तदान कैंप भी नहीं लग रहे हैं। इस वजह से ब्लड बैंक में भी रक्त की कमी आने लगी है। वैसे पहले की अपेक्षाकृत अब ब्लड बैंक में रक्त की डिमांड ज्यादा नहीं है, अन्यथा मुसीबत का यह वक्त रक्त के लिए भी खून के आंसू बहाने पर मजबूर कर देगा। जानकारी के मुताबिक सरकारी अस्पताल के ब्लड बैंक में पहले 575 यूनिट रक्त हर माह इकट्ठा हो जाता था। औसतन हर रोज 20 यूनिट रक्त की डिमांड होती थी। रक्त की कमी महसूस होने पर स्वास्थ्य विभाग दानी सज्जनों का सहयोग लेकर रक्त की कमी को पूरा कर लेता था, मगर कोरोना वायरस के प्रकोप ने ब्लड बैंक के स्टोरेज पर भी ग्रहण लगाने का काम किया है। अब महीने में 450 यूनिट रक्त इकट्ठा हो पा रहा है। हालांकि क‌र्फ्यू लगने की वजह से इन दिनों एक्सीडेंट के केस नहीं आ रहे हैं, मगर आने वाले दिनों में रक्त के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है, क्योंकि कुछ माह में बरसात में सीजनल बीमारियां और डेंगू का प्रकोप ज्यादा सताता है। वहीं सरकारी अस्पताल होशियारपुर ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. अमरजीत लाल ने कहा कि कैंप नहीं लग पा रहे हैं, इसीलिए रक्त में थोड़ा कमी आई है। हालांकि अभी मांग भी कम ही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह रक्तदान के लिए ब्लड बैंक से संपर्क करें।

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ब्लड बैंक में खून की मौजूद स्थिति ओ पॉजिटिव- 10 यूनिट।

ए पॉजिटिव- 09 यूनिट।

बी- पॉजिटिव- 08 यूनिट।

एबी पॉजिटिव- 11 यूनिट

ओ नेगेटिव- 2 यूनिट।

बी नेगनेट- 1 यूनिट।

ए नेगेटिव- 2 यूनिट

एबी नेगेटिव- 2 यूनिट फोटो-100

दस साल में 24 बार कर चुक हैं रक्तदान शहर के रहने वाले सुमित गुप्ता ने कहा कि उनकी भाभी पायल गुप्ता को दस साल पहले डेंगू समस्या हो गई थी। उस समय उन्हें रक्त की जरूरत पड़ी थी, लेकिन रक्त इकट्ठा करने में बहुत दिक्कत हुई। उसी दिन ठान लिया था कि वह रक्तदान की मुहिम से जुड़ेंगे। इसके बाद उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर ब्लड डोनर एसोसिसएशन संस्था का गठन किया। अब तक संस्था दस हजार यूनिट रक्त रक्तदान करवा चुकी है। उन्होंने कहा कि वह दस साल में 24 बार रक्तदान कर चुके हैं। फोटो-101

सास की बीमारी से जागी रक्तदान करने की प्रेरणा शहर की पूर्व पार्षद मीनू सेठी ने कहा कि वह पिछले छह साल से रक्तदान कर रही हैं। अभी तक वह पांच बार रक्तदान चुकी हैं। उनकी कोशिश है कि रक्तदान की मुहिम में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपनी आहुति डालें, ताकि लोगों की कीमती जानों को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि छह साल पहले उनकी सास रंभा सेठी को रक्त की जरूरत पड़ी। उन्हें रक्त लेने में काफी परेशानी हुई। तभी से ही उन्होंने रक्त दान को जीवन का अभिन्न अंग बनाकर ब्लड डोनर एसोसिएशन महिला विग का गठन किया, जिसकी वह प्रधान भी हैं। वह महिलाओं को रक्तदान के प्रति आगे आने के लिए प्रेरणा देने का काम कर रही हैं।

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हरेक स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए। रक्तदान से कोई शारीरिक कमजोरी नहीं आती है। यह धारणा बिलकुल गलत है कि जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है, तो उसे कमजोरी आ जाती है। राष्ट्रीय एकता, सांप्रदायिक सद्भावना एवं धर्म निरपेक्षता मजबूत करने के लिए स्वैच्छिक रक्तदान सर्वोत्तम मार्ग है। एक व्यक्ति हर तीन माह बाद स्वेच्छा से रक्तदान कर सकता है। मैं भी अपने जीवन में 85 बार रक्तदान कर चुका हूं। अजय बग्गा, रिटायर्ड सिविल सर्जन


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