महिला अधिकारों के कानून की जानकारी होना आवश्यक
सामाजिक तौर पर महिलाओं को त्याग व सहनशीलता का ताज पहनाया गया है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : सामाजिक तौर पर महिलाओं को त्याग व सहनशीलता का ताज पहनाया गया है। जिसके भार से दबी महिला कई बार घरेलू हिसा कानून की जानकारी होते हुए भी इन कानूनों का उपयोग नहीं कर पाती तो बहुत केसों में महिलाओं को पता ही नहीं होता कि उनके साथ हो रही घटनाएं हिसा हैं। इससे बचाव के लिए कोई कानून भी है। आमतौर पर शारीरिक प्रताड़ना यानी मारपीट, जान से मारना आदि को ही हिसा माना जाता है और इसके लिए रिपोर्ट भी दर्ज कराई जाती है। यह विचार भाजपा जिला उपाध्यक्ष एवं शिक्षाविद सतपाल शास्त्री ने नेहरू युवा केंद्र के निर्देशन में समाजसेवी संगठन यूथ डवलपमेंट सेंटर के विश्व महिला घरेलू हिसा विरोधी दिवस के अवसर पर टटवाली में कहे। यह जागरूकता कैंप सुरिदर भूषण की अध्यक्षता में करवाया गया। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 498 के तहत ससुराल पक्ष के लोगों की ओर से की गई क्रूरता, जिसके अंर्तगत मारपीट से लेकर कैद में रखना, खाना न देना व दहेज के लिए प्रताड़ित करना आदि आता है, के तहत अपराधियों को तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकती है। शारीरिक प्रताड़ना की तुलना में महिलाओं के साथ मानसिक प्रताड़ना के केस ज्यादा होते हैं। शास्त्री ने कहा कि मनपसंद कपड़े न पहनने देना, मनपसंद नौकरी न करने देना, अपनी पसंद से खाना न खाने देना, बालिग व्यक्ति को अपनी पसंद से विवाह न करने देना या ताने देना, शक करना, मायके न जाने देना, पढ़ने न देना, काम छोड़ने का दबाव डालना, कहीं आने-जाने पर रोक लगाना आदि मानसिक प्रताड़ना है। शास्त्री ने कहा यहां तक कि घरेलू हिसा अधिनियम के बारे में भी महिलाएं अनभिज्ञ हैं। इस अवसर पर संजीव, प्रेम सिंह, ज्योति बाला, संदीप, सुरिदर भूषण, अमरीक आदि उपस्थित थे।