कैदियों को रुलाता जेल 'खाना'
हजारी लाल, होशियारपुर
कैदियों को जेल खाना खूब रुलाता है क्योंकि उन्हें जेल के मेन्यू में ही गुणवत्ता के आधार पर भोजन मिलता हैं। सही भोजन न होने से पेट भी नहीं भरता और बीमार होने पर दवाइयों की कमी भी खूब खलती है। जेल प्रबंधन भी क्या करे? जैसे उसके पास फंड होता है, उसी हिसाब से सुविधा मुहैया करवाई जाती है। शुक्रवार को कुछ कैदियों ने सरेआम आरोप लगाया है कि न तो जेल के अंदर शुद्ध भोजन मिलता है और न ही दवाइयों का ही पर्याप्त बंदोबस्त होता है। कैदियों को स्वादिष्ट खाने का स्वाद नहीं मिलता, मगर मजबूरी के चलते वह मुंह खोलने का साहस नहीं जुटा पाते हैं। दबंग कैदियों को यहां पर भी कोई परेशानी नहीं होती। वह अपने रसूख के चलते यहां पर स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ उठा लेते हैं।
शुक्रवार को जेल परिसर में सजायाफ्ता कैदी बलविंदर सिंह आत्महत्या की कवरेज के लिए दैनिक जागरण की टीम खड़ी थी। पेशी भुगत कर आ रहे कुछ कैदियों ने यह भांपते की कि मीडिया के लोग हैं। फिर क्या था, उन्होंने जेल प्रशासन की बखियां उधेड़नी शुरू कर दीं। वीडियो कैमरे के आगे उन्होंने बेबाक शब्दों में कहा कि सरकार सिर्फ झूठे पर्चे करवाने में माहिर है जबकि जेल के अंदर कैदियों को मिलने वाली सुविधाओं पर कोई गौर नहीं करती है। जेल के अंदर मिलने वाला भोजन ठीक नहीं होता है। सुबह के वक्त दी जाने वाली चाय में दूध का नामोंनिशान नहीं होता है। पानी खौलाकर ही दे दिया जाता है। अधिकांश कैदी चाय को फेंक देते हैं। और तो और बीमार कैदियों को डाक्टर की सलाह पर दूध, दलिया व अंडे देने होते है, मगर उन्हे पूछता कौन है।
गुणवत्ता पर खरी उतरती दोपहर को एक बढि़या सब्जी व छह रोटी और रात को एक सूखी सब्जी, उसके साथ तरी वाली सब्जी व छह रोटी देनी होती है। कैदियों की मानें तो खाद्य पदार्थो को तैयार करवाने मे खूब कोताही बरती जाती है। उचित सामग्री का प्रयोग न किए जाने से पानी कहीं और सब्जी कहीं और होती है। इससे भोजन निगला ही नहीं जाता है। इस आलम में कैदियों का पेट नहीं भरता। रसूख और पैसे वाले कैदियों ने कैंटीन से कुछ न कुछ मंगवाकर अपना पेट भर लेते हैं और आम कैदी खाली पेट सोते हैं।
कुछ दबंग कैदियों ने इसके लिए बाकायदा तौर पर आदमी (गरीब कैदी) रखे होते है, जो उन्हे स्वादिष्ट भोजन तैयार करके खिलाते है और खुद खाते है। यहीं नहीं, अमीर कैदियों को अंदर ही दूध इत्यादि भी पहुंचा दिया जाता है। जेल में मिलने वाले गुणवत्ता रहित खाने के अगर कोई परेशान है तो वह है गरीब कैदी। सूत्रों की मानें तो डीसी व अन्य अधिकारियों द्वारा जेल की चेकिंग तो की जाती है, मगर दहशत के चलते कोई भी ज्यादातर कैदी इस बारे मुंह खोलने को तैयार नहीं होते। जेल अस्पताल के लिए दवाइयों का भी उचित प्रबंध नहीं होता है। फंड के अभाव में जेल प्रबंधन इधर-उधर हाथ पैर मारकर दवाइयों का बंदोबस्त करता फिरता है।
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जेल में कोई दिक्कत नहीं: जेलर
जेलर अजमेर राणा ने कहा कि जेल में खाना मैन्यू के हिसाब से दिया जाता है। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। कुछ कैदी जानबूझ कर ऐसे निराधार आरोप लगाते हैं। दवाइयों की भी कोई कमी नहीं है।
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