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पिता सांस की बीमारी से थे परेशान, डॉक्टर ने कहा-पराली क्यों जला रहे हो किसान

पराली को आग लगाए बिना पराली को खेतों में जोतकर अगली फसल रोपने से कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं होता, बल्कि पैसे की बचत होती है और फसल का झाड़ बढ़ता है। यह दावा है गांव पंज गराईया के सफल किसान कमलजीत ¨सह का। कमलजीत ¨सह का कहना है कि अधिकतर किसान सुनी सुनाई बातों पर यकीन कर पराली को आग लगाकर अगल फसल रोपने को लाभदायक समझते है, मगर होता इसके विपरीत है। 20 एकड़ में खेती कर रहे कमलजीत ¨सह ने बताया कि वह पिछले तीन वर्षो से पराली को आग नहीं लगा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 06:32 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 06:32 PM (IST)
पिता सांस की बीमारी से थे परेशान, डॉक्टर ने कहा-पराली क्यों जला रहे हो किसान
पिता सांस की बीमारी से थे परेशान, डॉक्टर ने कहा-पराली क्यों जला रहे हो किसान

संवाद सहयोगी, गुरदासपुर :

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पराली को आग लगाए बिना पराली को खेतों में जोतकर अगली फसल रोपने से कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं होता, बल्कि पैसे की बचत होती है और फसल का झाड़ बढ़ता है। यह बात गांव पंज गराईया के किसान कमलजीत ¨सह ने कही। 20 एकड़ में खेती कर रहे कमलजीत ¨सह पिछले तीन वर्षो से पराली को आग नहीं लगा रहे हैं। उसके पास के गांवों के किसान उसे कहते थे कि तुम पराली को न जलाकर आर्थिक तौर पर अपना नुकसान कर रहे हो, मगर उसने बताया कि वह खेती खर्च का एक-एक रुपये का हिसाब रखता है और उस अनुसार पराली खेतों में जोतने से डीजल कम लगता है, पानी कम लगाना पड़ता है, खाद्य व कीटनाशक नाममात्र इस्तेमाल करना पड़ता है तथा फसल का झाड़ भी बढ़ता है। इसके साथ-साथ पर्यावरण को भी शुद्ध रखा जाता है। किसान ने आगे बताया कि पराली जलाने से यहां पर्यावरण दूषित होता है, उसके साथ-साथ मानव सेहत के लिए भी हानिकारक है। उसका पिता को सांस की बीमारी की तकलीफ है, जब वह श्री अमृतसर में डॉक्टर के पास ईलाज करवाने गये तो डाक्टर ने कहा कि इस बीमारी के पीछे आपका हाथ है। डॉक्टर ने कहा कि पराली जलाने से दिनों दिन पर्यावरण दूषित हो रहा है, जिससे सांस जैसी बीमारियां दिन ब दिन बढ़ रही है। किसान कमलजीत ¨सह ने बताया कि वह जिले में चलाए जा रहे आगामी किसानों के वट्स एप ग्रुप किसान इंनोवेटिव का सदस्य है और उसे खेती सबंधी बहुमूल्य जानकारी मिलती रहती है। वह हैपीसीडर से पराली को खेतों में जोतकर अगली फसल बीजता है व उसको फायदे मिल रहा है। अधिकतर किसानों का मानना है कि पराली खेतों में जोतने से डीजल की खपत अधिक होती है, मगर उसने बताया कि अधिकतर किसान खेती का हिसाब किताब नही रखते, जबकि डीजल कम लगता है। पराली खेतों में जोतने से पूरा साल उसे जरुरी खेती काम से छुटकारा मिलता है व डीजल की खपत कम होती है।


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