पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टर व कारोबारी परेशान
रोजाना पेट्रोल और डीजल के बढ़ रहे दामों से जनता बेहाल हो चुकी है और सरकार भी बेबस नजर आ रही है।
अशोक कुमार, गुरदासपुर
रोजाना पेट्रोल और डीजल के बढ़ रहे दामों से जनता बेहाल हो चुकी है और सरकार भी बेबस नजर आ रही है। आलम यह है कि डीजल व पेट्रोल पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन महंगाई रोजाना बढ़ रही है।
इस संबंधी विशाल नंदा का कहना है कि विश्व में तेल की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रही तो ट्रांसपोर्ट का काम बिल्कुल ही बंद हो जाएगा। सभी को इस पर बैठकर चितन करना चाहिए। देश में बढ़ती महंगाई का कारण तेल पदार्थो के रेट बढ़ने से ही है। राज्य सरकार अपने-अपने राज्यों में पेट्रोलियम पदार्थो पर टैक्स कम करे और राज्य को बढ़ रही महंगाई से निजात दिलाई जाए। 13
पंजाब सरकार पेट्रोलियम पदार्थो पर टैक्स कम करे : मक्खन कोहाड़
मक्खन कोहाड़ ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाया कि बढ़ रही महंगाई में दामों को लेकर केंद्र सरकार तो काफी गंभीर है। लेकिन पंजाब सरकार जनता से देश में सबसे अधिक पेट्रोल व डीजल पर टैक्स वसूल रही है। पंजाब सरकार को चाहिए कि पेट्रोलियम पदार्थो पर अपना टैक्स कम कर जनता को राहत दिलाए। अगर पंजाब सरकार अपना टैक्स कम नहीं करती है तो पंजाब में किसानों को बहुत नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। 14
केंद्र सरकार तेल के दामों पर अंकुश लगाए : एडवोकेट धीरज
एडवोकेट धीरज शर्मा ने कहा कि सरकार कोई भी रहे, महंगाई पर अंकुश लगाने पर फेल होती नजर आ रही है। हर रोज बढ़ रहे पेट्रोलियम पदार्थो के दामों को लेकर केंद्र सरकार फेल हो चुकी है। ऐसा मालूम होता है कि तेल कंपनियों के आगे केंद्र सरकार नतमस्तक हो चुकी है और जनता को लूटने के लिए खुली छूट दे रखी है। जब चाहे जैसे चाहे तेल कंपनियां अपना रेट बढ़ाने पर अपना हक समझती हैं। अगर केंद्र सरकार ने तेल के दामों पर अंकुश नहीं लगाया तो वह दिन दूर नहीं जब देश में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा होंगे। इंसान एक-दूसरे को लूटने पर मजबूर हो जाएगा। 15
ट्रांसपोर्टर को सबसे ज्यादा नुकसान : यशपाल ठाकुर
समाज सेवक यशपाल ठाकुर ने बताया कि पेट्रोलियम पदार्थो के हर रोज रेट बढ़ने पर सबसे ज्यादा अगर नुकसान होता है तो वह ट्रांसपोर्टर का ही होता है। किराया ग्राहक से जो करते हैं ग्राहक वही भाड़ा देता है, लेकिन तेल का रेट शाम को कुछ और होता है और सुबह होते ही कुछ और हो जाता है। ऐसे ही अगर तेल की कीमतें बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हम अपनी गाड़ियों को खड़ा करने पर मजबूर हो जाएंगे। फिर व्यापारियों का माल उनके गोदामों पर ही सड़ने लगेगा। जब खेतों में बिजली की सुविधा नहीं है वहां पर फसल उगाने के लिए एकमात्र डीजल ही साधन होता है। फसल से भी ज्यादा तेल पर खर्च आने से किसान बेहाल होता है।