सरकार के दो लाख के मरहम से नहीं भरेंगे जख्म
विनय कोछड़ बटाला। जिन्होंने अपने इकलौते कमाने वाले सदस्यों को खोया अब तो सिर्फ उनकी आंखों में आंसू ही बचे हैं।
विनय कोछड़, बटाला।
जिन्होंने अपने इकलौते कमाने वाले सदस्यों को खोया, अब तो सिर्फ उनकी आंखों में आंसू ही बचे हैं। वीरवार की रात उनकी जिदगी में एक काली रात लेकर आई। हाथी गेट के रहने वाले 13 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। जिन परिवारों ने अपनों को खोया है असलियत में गम का अहसास भी इन लोगों की आंखों में ही झलक रहा था। दैनिक जागरण ने बुधवार को इन परिवारों से बातचीत कर उनसे पूछा कि वह सरकारी राहत राशि से संतुष्ट हैं तो सभी ने एक सुर में इसे नकारते कहा कि यह तो उनके लिए जख्म हैं। एक-एक सदस्य ही घर में कमाने वाला था। जहरीली शराब ने उनकी जान ले ली। सरकार व प्रशासन उनके साथ भद्दा म•ाक कर रहा है। पीड़ित बोले अगर समय रहते उचित कदम उठा लिए जाते तो शायद यह हादसा कभी नहीं होता। साफतौर पर कहाकि इस राशि से उनका कुछ नही बनने वाला है, अगर मदद करनी है तो मृतक परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
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पति जतिद्र कुमार ऑटो चालक था। घर में एक बेटा ढाइ वर्ष, बेटी सात साल की है। दोनों स्कूल जाते है। वीरवार रात काम से लौटने के बाद जहरीली शराब पीने से उसकी तबीयत खराब हुइ सिविल अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सरकार द्वारा दो लाख रुपये की राशि से जीवन भर पान-पोषण नही किया जा सकता। सरकारी नौकरी देने की मांग की।''
--पत्नी बिदू बाला
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जगदीष इकलौता बेटा था। मजदूरी करके बूढ़े मा-बाप का पालन-पोषण करता था। वीरवार की रात हाथी गेट इलाके से वह शराब पीकर घर लौटा तो उसकी मौत हो गइ। वह सरकार द्वारा जारी सहायता राशि से नाखुश है। उन्होंने कहाकि अगर सरकार ने मदद करनी है तो उनकी जिदगी भर का खर्च उठाएं।
मृतक की मां बिमाला रानी
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पति बूटा राम मेहनत मजदूरी का काम करता था। प्रतिदिन सुबह काम पर चला जाता था। किसी के साथ उसका कोइ बैठना-खलोना नहीं था। वीरवार रात को त्रिवेनी चौहान ने उसके पति को जब्रदस्ती जहरीली शराब पिलाइ। जिस कारण मौत हो गइ। घर में उनके अलावा कमाने वाला कोइ नहीं है। राज्य सरकार से मांग की कि उन्हें सरकारी नौकरी दें।
--पत्नी सुमन
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तरसेम सिंह कार ड्राइवर थे। मोहल्लें में चाचा जी के नाम से मशहूर थे।
जहरीली शराब के पीने से मौत हो गइ। घर में चार बहनें तथा एकलौता भाइ है। वह भी अभी कुछ कमाता नही है। सरकारी मदद उनके जख्मों को मरहम नहीं लगा सकता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से सरकारी देने की मांग की।
--मृतक का बेटा संदीप
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मृतक भूपिदर कुमार उर्फ कालू अपने पीछे पत्नी, मां, दस वर्षीय बेटे को छोड़ गया। घर में कमाने वाला वह सिर्फ अकेला था। 10 गज की कच्ची छत के नीचे सारा परिवार अपना जीवन व्यतीत करता है। बेटे से आस थी अब इस छत को पक्का करन की। मगर उसकी मौत ने सभी इच्छाओं पर पानी फर दिया। सरकार की राहत के रुप में दी जानी वाली राशि गरीब के साथ बहुत बड़ा म•ाक है।