सहपाठी नारंग बोले-शुरू से ही समाज सेवा में दिलचस्पी दिखाती थी सुषमा
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से आकस्मिक देहांत हो गया।
विनय कोछड़, बटाला
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से आकस्मिक देहांत हो गया। स्वराज ने 1972 में चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की थी। उनके साथ बटाला के दो स्टूडेंट भी पढ़ते थे, जिन्हें उनके देहांत की खबर पर काफी दुख हुआ है।
सुषमा स्वराज के सहपाठी चमन लाल नारंग बटाला बार एसोसिएशन के मेंबर और सीनियर एडवोकेट हैं। उनका कहना था कि वे 1972-75 तक का वक्त कभी नहीं भूल सकते। उस दौरान पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उनकी सहपाठी थी। नारंग ने बताया कि सुषमा काफी इंटेलीजेंट थी। खासकर डेफामेशन की डिबेट में उनका भाषण इतना जबरदस्त होता था कि सब चुप हो जाते थे। वे शुरू से ही पढ़ाई में लगनशील थी। आवाज लता मंगेशकर की तरह दमदार थी। हर किसी से बात हिदी में करती थी। नारंग ने बताया कि मंगलवार रात को उनकी मौत हो जाने से उन्होंने अपनी लॉ शिक्षा के दौरान सहपाठी खो दिया। दुख तो बहुत हुआ, लेकिन कुछ कर भी नही सकते। नारंग ने बताया कि शुरू से सुषमा स्वराज देश और समाज की सेवा के लिए दिलचस्पी दिखाती रही हैं। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एबीवीपी ज्वाइन कर ली थी। उसके बाद जनसंघ तथा फिर सक्रिय राजनीति में आ गई। विदेश मंत्री रहते विदेश में फंसे कई पंजाबी युवाओं को वापस देश में लाने के लिए स्वराज का अहम योगदान रहा है।
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अपनी सीनियर के निधन से सेखड़ी आहत
इसी प्रकार पंजाब यूनिवर्सिटी से ही लॉ की पढ़ाई करने वाले पूर्व मंत्री अश्वनी सेखड़ी सुषमा स्वराज के जूनियर रहे हैं। अश्वनी सेखड़ी ने बताया कि वे अपने सीनियर की मौत से आहत हैं। वे पढ़ाई में टॉप क्लॉस की स्टूडेंट थीं। राजनीति में अच्छे काम किए। खासकर विदेश में फंसे पंजाबियों को उनके घर पहुंचाने में अच्छा काम किया।