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रंधावा के डिप्टी सीएम बनने से जिले को मिली बड़ी ताकत

रविवार को पहले मुख्यमंत्री बनने के करीब पहुंचे डेरे बाबा नानक के विधायक सुखजिदर सिंह रंधावा भले ही आखिरी समय में आकर मुख्यमंत्री नहीं बन पाए लेकिन सोमवार को उन्हें डिप्टी सीएम घोषित कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 05:37 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 05:37 PM (IST)
रंधावा के डिप्टी सीएम बनने से जिले को मिली बड़ी ताकत

सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर

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रविवार को पहले मुख्यमंत्री बनने के करीब पहुंचे डेरे बाबा नानक के विधायक सुखजिदर सिंह रंधावा भले ही आखिरी समय में आकर मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, लेकिन सोमवार को उन्हें डिप्टी सीएम घोषित कर दिया गया। इसके साथ ही जिले के इतिहास में यह भी एक बड़ा रिकार्ड दर्ज हो गया है कि जिले से संबंधित किसी विधायक को डिप्टी सीएम का पद देकर नवाजा गया है। इससे सीमावर्ती जिला गुरदासपुर विकास के पथ पर आगे बढ़ने में सहयोग मिलेगा।

सुखजिदर सिंह रंधावा ने अब तक चार बार विधानसभा का चुनाव लड़ा है। इनमें से वे तीन बार विजेता रहे। पहली बार उन्होंने 2002 में विधानसभा हलका फतेहगढ़ चूड़ियां से अकाली दल के निर्मल सिंह काहलों को पराजित किया। जबकि 2007 में वे निर्मल सिंह काहलों से ही मात खा गए। इसके बाद 2012 में वे नए बने विधानसभा सभा हलका डेरा बाबा नानक से चुनाव लड़े और अकाली दल के सुच्चा सिंह लंगाह को पराजित कर विधायक बने। 2017 में भी उन्होंने अकाली दल के सुच्चा सिंह लंगाह को दूसरी बार पराजित किया और विधायक बने। मौजूदा समय वे सहकारिता और जेल मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे। कहासुनी होने पर कैप्टन को दे दिया था इस्तीफा

सुखजिदर सिंह रंधावा अपनी बात को बेबाकी से रखने के लिए जाने जाते हैं। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही कैप्टन अमरिदर सिंह के साथ होने के बावजूद इसी तरह बोलने को लेकर ही कैप्टन से दूरियां बढ़नी शुरू हुई। एक बार तो विधानसभा में बरगाड़ी व अन्य मुद्दों पर बोलते हुए कैप्टन अमरिदर सिंह से कहासुनी होने पर रंधावा ने कैप्टन को अपना इस्तीफा तक सौंप दिया था। हालांकि उसे नामंजूर कर दिया गया था। बरगाड़ी मामले को लेकर बनाई कैप्टन से दूरी

कभी कैप्टन अमरिदर सिंह के खासमखास रहे सुखजिदर सिंह रंधावा ने बरगाड़ी मामले में हुई कार्रवाई पर असहमति जताते हुए ही कैप्टन से दूरियां बनानी शुरू कर दी थी। रंधावा द्वारा लगातार इस मामले में कैप्टन को घेरने के चलते धीरे-धीरे दोनों के रास्ते अलग हो गए। कैप्टन के खिलाफ जाकर नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनवाने में रंधावा की अहम भूमिका रही। इसके बाद भी रंधावा शांत नहीं हुए और पूरे सिद्धू ग्रुप के आगे लगकर कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग उठाई। उनकी मांग सिरे भी चढ़ गई और हालात ये बन गए कि पूरी कमान ही उनके हाथ में आ गई। कुल मिलाकर कहा जाए तो रंधावा इस पूरे प्रकरण में कैप्टन अमरिदर सिंह पर भारी पड़ गए और कभी अपनी लोकप्रियता और विधायकों का समर्थन बताकर हाईकमान को आंखें दिखाने वाले कैप्टन का तख्ता पलट कर खुद डिप्टी सीएम के पद पर पहुंच गए। देरी से बनाए गए मंत्री

2017 में पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बावजूद कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा करीब डेढ़ साल तक उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल नहीं किया गया। 2019 में गुरदासपुर लोकसभा के उप चुनाव में सुनील जाखड़ को अपने हलके से बड़ी लीड दिलाकर रंधावा कैबिनेट में जगह बनाने में सफल हो गए। उन्हें सहकारिता व जेल विभाग दिया गया। बटाला को जिला बनाने की उठाई मांग

सुखजिदर सिंह रंधावा ने हाल ही में 13 सितंबर को बटाला में मनाए गए बाबा नानक के विवाह पर्व से पहले कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिदर सिंह बाजवा के साथ मिलकर बटाला को जिला बनाने की मांग उठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह को पत्र लिखा था। लेकिन उन दिनों रंधावा की कैप्टन से काफी नाराजगी चल रही थी। इसके चलते उनके पत्र पर कैप्टन ने कहा था कि उन्हें इस मामले में राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा भी बोल चुके हैं और इस पर विचार चल रहा है। अब जबकि सुखजिदर सिंह रंधावा खुद डिप्टी सीएम बन गए हैं तो बटाला के लोगों की उम्मीदें भी बढ़ जाएंगी।


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