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Lok Sabha Election 2024: पंजाब की वह महिला जिसने 20 साल तक किया गुरदासपुर पर शासन, पढ़ें कौन हैं सुखबंस कौर भिंडर

Sukhbans Kaur Bhinder पंजाब में एक जून को लोकसभा सीट होने हैं। सूबे की गुरदासपुर सीट के बड़े मायने हैं। इतिहास टटोल कर देखा जाए तो इस सीट पर कभी सुखबंस कौर भिंडर का वर्चस्व था। लेकिन विडंबना है कि इस सीट पर जिस महिला का वर्चस्व दशकों तक रहा। उसके निधन के बाद से ही पार्टियों ने गुरदासपुर से महिला प्रत्याशियों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया

By Prince Sharma Edited By: Prince Sharma Tue, 07 May 2024 04:42 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: पंजाब की वह महिला जिसने 20 साल तक किया गुरदासपुर पर शासन, पढ़ें कौन हैं सुखबंस कौर भिंडर
Lok Sabha Election 2024: पंजाब की वह महिला जिसने 20 साल तक किया गुरदासपुर पर शासन

आकाश, गुरदासपुर। Sukhbans Kaur Bhinder: देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और समय-समय पर बनने वाली सरकारें महिलाओं को उचित अधिकार और प्रतिनिधित्व देने के दावे तो करती हैं। लेकिन चुनावी मौसम में धरातल पर सच्चाई कुछ और ही होती है। 

ऐसा ही कुछ लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर (Gurdaspur Lok Sabha Election 2024) में पिछले 20 साल से देखने को मिल रहा है। जहां महिला सांसद के तौर पर लगातार पांच बार जीत हासिल करने के बावजूद उनके निधन के बाद पिछले 20 सालों में किसी भी पार्टी ने किसी महिला उम्मीदवार को लोकसभा सीट से टिकट देकर महिला शक्ति पर भरोसा नहीं जताया है।

कौन हैं सुखबंस कौर भिंडर

गौरतलब है कि गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए 19 लोकसभा (Punjab Lok Sabha Election 2024) चुनावों में एक ही उम्मीदवार के लगातार पांच चुनाव जीतने का रिकॉर्ड किसी पुरुष के नाम पर नहीं बल्कि एक महिला के नाम पर है। यह नाम दिवंगत सुखबंस कौर भिंडर (Sukhbans Kaur Bhinder) का है जो अपने समय में कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की नेता बनकर उभरीं।

सुखबंस कौर भिंडर को कांग्रेस ने पहली बार साल 1980 में मैदान में उतारा था, जिसके बाद उन्होंने लगातार पांच चुनाव जीते। उन्होंने 1980 से 1996 तक लोकसभा में गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। गुरदासपुर सीट से सुखबंस कौर भिंडर को हराना लगभग नामुमकिन था।

यही कारण था कि सन् 1998 में अकाली-बीजेपी गठबंधन के बावजूद बीजेपी को सुखबंस कौर भिंडर के विजय रथ को रोकने के लिए बॉलीवुड के बड़े फिल्म स्टार विनोद खन्ना (Vinod Khanna) को मैदान में उतारना पड़ा था।

भिंडर का विजयी रथ 1980 से 1996 तक चला

सुखबंस कौर भिंडर ने साल 1980 में पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने साल 1996 तक पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1980 के बाद उन्होंने 1984, 1989, 1991 और 1996 में लगातार जीत हासिल की। इसी बीच सुखबंस कौर भिंडर को केंद्र सरकार में पर्यटन मंत्री की अहम जिम्मेदारी भी दी गई।

उनकी लगातार जीत ने विपक्षी पार्टियों को पूरी तरह से निराश कर दिया था। भिंडर को हराना नामुमकिन माना जाता था। आखिरकार साल 1998 में विनोद खन्ना अपने स्टारडम के दम पर भिंडर को हराने में कामयाब रहे।

भिंडर की मौत के बाद किसी भी बड़ी पार्टी ने महिला को टिकट नहीं दिया

पूर्व सांसद सुखबंस कौर भिंडर की साल 2004 का चुनाव हारने के बाद साल 2006 में मृत्यु हो गई, लेकिन तब से 20 वर्षों में कांग्रेस पार्टी या किसी अन्य पार्टी ने एक भी महिला उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है। हालांकि सुखबंस कौर भिंडर (Sukhbans Kaur Bhindar) ने लगातार पांच बार जीतकर साबित कर दिया था कि महिलाएं अपनी आवाज उठा सकती हैं।

लेकिन फिर भी राजनीतिक पार्टियां महिलाओं पर भरोसा नहीं दिखा रही हैं। भाजपा ने पिछले 20 वर्षों में पुरुष उम्मीदवार के रूप में फिल्म स्टार विनोद खन्ना, स्वर्ण सलारिया, फिल्म स्टार सनी देओल और अब स्थानीय उम्मीदवार दिनेश बब्बू को मैदान में उतारा है।

इसी तरह सुखबंस कौर भिंडर के निधन के बाद कांग्रेस ने पहले प्रताप सिंह बाजवा, फिर सुनील जाखड़ और अब सुखजिंदर सिंह रंधावा को अपना उम्मीदवार बनाया है।

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