लॉकडाउन से पहले दो माह की छुट्टी लेकर ड्यूटी पर गए थे शहीद सतनाम सिंह
लॉकडाउन से पहले दो महीने की छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर लौटे शहीद सतनाम सिंह ने 14 दिन के क्वारंटाइन के बाद चीन बॉर्डर पर मोर्चा संभाला था।
सुनील थानेवालिया, महिदर सिंह अर्लीभन्न, गुरदासपुर/कलानौर
लॉकडाउन से पहले दो महीने की छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर लौटे शहीद सतनाम सिंह ने 14 दिन के क्वारंटाइन के बाद चीन बॉर्डर पर मोर्चा संभाला था। करीब डेढ़ महीने की ड्यूटी के बाद चीन के सैनिकों से लोहा लेते हुए उन्होंने शहादत का जाम पी लिया। परिवार सहित पूरे गांव में शोक की लहर तो है, लेकिन सतनाम सिंह की शहादत पर हर कोई नाज ही कर रहा है।
शहीद के भाई सूबेदार सुखचैन सिंह ने कहा कि भले ही वे अपने भाई की शहादत को लेकर दुखी हैं। लेकिन उन्हें इस बात का गर्व है कि उनके भाई ने देश की हिफाजत करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं भी वहां पर होता तो चीन के सैनिकों से लोहा लेता। उन्होंने कहा कि उनके लिए गर्व की बात है कि उनका भाई खानदान का पहला फौजी व पहला शहीद है। इस मौके पर सरपंच जगजीत सिंह भोजराज, सुखदेव सिंह, पूर्व सरपंच गुरमुख सिंह, रणजीत सिंह, नायब तहसीलदार रोबनजीत कौर गिल, एसएचओ बलकार सिंह आदि उपस्थित थे। इस दौरान एसडीएम गुरसिमरन सिंह ढिल्लों ने कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा जिला प्रशासन परिवार के साथ है। उन्होंने कहा कि देश के सैनिकों पर हर नागरिक को गर्व हैं। शहीद सतनाम सिंह की शहादत को वह नमन करते हैं। उन्होने बताया कि शहीद का पार्थिव शरीर वीरवार बाद दोपहर तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने बताया कि डीसी मोहम्मद इशफाक ने शहीद के परिवारिक सदस्यों से बातचीत की है और उन्हें विश्वास दिलाया गया है कि इस दुख की घड़ी में पूरा प्रशासन उनके साथ खड़ा है।
1995 में हुए थे फौज में भर्ती
सुखचैन सिंह ने बताया कि सतनाम सिंह का जन्म 18 जनवरी 1979 को हुआ। उनकी माता जसबीर कौर और पिता जगीर सिंह ने उन्हें बड़े लाड़ से पाला। उन्होंने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई सरकारी हाई स्कूल भंडाल व 12वीं सीनियर सेकेंडरी स्कूल बांगोवाणी से की। शहीद सतनाम सिंह 1995 में फौज की तीन मीडियम आरटी में भर्ती हुए। अब 1962 वाला भारत नहीं है : कुंवर विक्की
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविदर सिंह विक्की ने कहा कि चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इस कारण देश के कई जवान शहादत का जाम पी गए हैं। उन्होंने कहा कि अब युद्ध जैसी स्थिति बनती है तो चीन को यह नहीं भूलना चाहिए भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है। चीन को उसकी हर नापाक हरकत का मुंह तोड़ जवाब देने में भारत सक्षम है। उन्होंने कहा कि इस समय परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, लेकिन शहीद सतनाम सिंह की शहादत पर पूरे देश को गर्व है। माता-पिता व पत्नी को नहीं दी गई सूचना
शहीद की शहादत संबंधी सूचना यूनिट द्वारा उसके भाई सुखचैन सिंह को दी गई थी। इसके बाद उनके भाई द्वारा यह सूचना गांव के गणमान्यों व अपने रिश्तेदारों को दी गई है। शहीद के माता-पिता, पत्नी व बेटी को वे सतनाम सिंह की शहादत की सूचना देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। हालांकि काफी समय के बाद शहीद के बेटे को इस संबंधी सूचित कर दिया गया है। उनके माता-पिता, पत्नी व बेटी को अभी भी नहीं बताया गया है। बेटा बोला-फौजियों के पास परिवार संग फोटो खिचवाने समय कहां
शहीद सतनाम सिंह के बेटे प्रभजोत सिंह से जब परिवार की संयुक्त फोटो मांगी गई तो उसने भरे मन से कहा कि फौजियों के पास अपने परिवारों के साथ इकट्ठे फोटो खिचवाने का समय कहा होता है। उनके डेडी ने भी पूरे परिवार के साथ कोई फोटो नहीं खिचवाई है।