गुरद्वारा फलाही साहिब में लगा मेला
श्री फलाही साहिब गुरद्वारा में गुरु का पर्व धूमधाम से मनाय गया। इतिहास के मुताबिक गुरुद्वारा फलाही साहिब में श्री गुरु नानक देव जी की सैरगाह की याद दिलाता है। सुल्तानपुर लोधी से आई हुई गुरु जी की बरात दो दिन बटाला में रही। बताया जाता है कि विवाह की रस्में पूरी करने के बाद अगली सुबह टहलते टहलते काफी दूर निकल गए ।
संवाद सहयोगी, कादियां : श्री फलाही साहिब गुरद्वारा में गुरु का पर्व धूमधाम से मनाय गया। इतिहास के मुताबिक गुरुद्वारा फलाही साहिब में श्री गुरु नानक देव जी की सैरगाह की याद दिलाता है। सुल्तानपुर लोधी से आई हुई गुरु जी की बरात दो दिन बटाला में रही। बताया जाता है कि विवाह की रस्में पूरी करने के बाद अगली सुबह टहलते टहलते काफी दूर निकल गए ।
इस दौरान भाई बाला व मदरना भी उनके साथ थे। गुरु जी ने रास्ते में फलाही के पेड़ से एक टहनी तोड़ कर दातुन करनी शुरू कर दी। गुरु जी ने दातुन करने के बाद बची हुई दातुन एक स्थान पर गाड़ दिया था। दातुन का बचा हुआ अवशेष अंकुर बन कर फूट पड़ा, जो बाद में फलाही का विशाल पेड़ बन कर उग गया। जब बटाला में श्री गुरु नानक देव जी का विवाह प्रचलन मनाना शुरू हुआ तो उसके साथ फलाही साहब में भी मेला लगने लगा। कार सेवा करने वाले बाबा बस्ता ¨सह ने इस स्थान की सेवा संभाल ली और भव्य गुरद्वारा साहिब का निर्माण करवाया। मेले दौरान हजारों लोग नतमस्तक होते हैं। लोग यहां भी बाबा की शादी के उत्साह में माथा टेकने आते हैं और प्रसाद के रूप में फलाही के पेड़ की टहनीयां तोड़ कर ले जाते हैं और प्रसाद के तौर पर बांटते हैं। इस वर्ष भी पहली पातशाही श्री गुरू नानक देव जी के विवाह अवसर के बाद आज कादियां रोड़ स्थित फलाही साहब में हजारों श्रद्धालु माथा टेकने के लिये पहुँचे। इस मौके पर गुरद्वारा साहिब को रंग बिरंगी लड़ियों के साथ सजाया गया था। सैकड़ों श्रद्धालु पवित्र सरोवर में डूबकियां लगाते नजर आये तथा श्रद्धालुओं द्वारा पवित्र बेरी के के समक्ष सीस भी झुकाया गया। इस मौके रागी जत्थों द्वारा लगातार शब्द कीर्तन कर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध किया गया।