नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों का ग्राफ गिरा, रिहैबिलिटेशन सेंटर में भी नहीं भर्ती कोई मरीज
पिछले कुछ महीनों से नशामुक्ति केंद्र में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का ग्राफ दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। एक तरफ पंजाब सरकार जहां प्रदेश को नशा मुक्त करने के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं आज भी जिला गुरदासपुर में गुपचुप तरीके से मिलने वाले नशे की वजह से नशा करने वाले युवक इलाज के लिए नशा मुक्ति केंद्र में नहीं आ रहे।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर : पिछले कुछ महीनों से नशामुक्ति केंद्र में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का ग्राफ दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। एक तरफ पंजाब सरकार जहां प्रदेश को नशा मुक्त करने के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, वहीं आज भी जिला गुरदासपुर में गुपचुप तरीके से मिलने वाले नशे की वजह से नशा करने वाले युवक इलाज के लिए नशा मुक्ति केंद्र में नहीं आ रहे। इसका मुख्य कारण जिले में नशे की सप्लाई है। डॉक्टरों के मुताबिक अगर नशा करने वाले व्यक्ति को नशा मिलना बंद हो जाए तो उसे दौरे पड़ने लगते हैं। इसके बाद पीड़ित मरीज अपना इलाज करवाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र में जाता है। यही वजह है कि गुरदासपुर का नशा मुक्ति केंद्र पिछले 6 महीनों से मरीजों की संख्या कम हुई है और हालात अब यह है कि एक दो मरीजों को छोड़कर ज्यादातर बिस्तर खाली पड़े हुए हैं।
करोड़ों की लागत से शुरू किए गए रिहैबिलिटेशन सेंटर को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश ¨सह बादल ने शुरू किया था और प्रदेश में बढ़ रहे नशे के कारोबार को रोकने वह नशे से संलिप्त युवाओं के इलाज के बाद उन्हें रिहैबिलिटेशन सेंटर में काउंस¨लग के लिए रखा जाता था। अस्पताल प्रबंधन ने अब इस सेंटर में सिविल अस्पताल प्रशासन अपने स्तर पर मेडिकल वार्ड का गठन कर दिया है। यहां पर अब दूसरे मरीज आते हैं।
यह है डेढ़ साल का आंकड़ा
2017 ओपीडी भर्ती मरीज
जनवरी 59 19
फरवरी 85 15
मार्च 130 20
अप्रैल 100 21
मई 90 15
जून 80 15
जुलाई 45 03
अगस्त 56 15
सितंबर 80 20
अक्तूबर 40 06
नवंबर 39 06
दिसंबर 40 10
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वर्ष 2018
जनवरी 55 05
फरवरी 30 05
मार्च 00 00
मामले के बारे में पता किया जाएगा : सिविल सर्जन
वही सिविल सर्जन डॉक्टर किशनचंद का कहना है कि नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों की संख्या के बारे में पता किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर मरीज नहीं आ रहे हैं तो अच्छी बात है क्योंकि प्रदेश सरकार की सख्ती के चलते नशा पूर्ण रूप से बंद है। जब उनसे कहा गया कि जब नशा बंद होता है तो मरीजों की संख्या नशा मुक्ति केंद्र में अधिक बढ़ जाती है तो उनका कहना था कि इस बारे में कोई कारण ढूंढ कर ही कुछ कह सकते हैं।
6 माह में 40 से अधिक मामले दर्ज
वहीं गुरदासपुर पुलिस ने भी विभिन्न थानों में एनडीपीसी एक्ट से संबंधित पिछले 6 माह में 40 से अधिक मामले दर्ज किए है। दो मेडिकल स्टोर संचालकों के खिलाफ प्रतिबंध दवाईयां बेचने को लेकर मामला दर्ज किया गया है। इससे साफ होता है कि जिले में हेरोइन व मेडिकल नशा गुपचुप तरीके से बेचा जा रहा है। इस बात की ताजा उदाहरण गुरदासपुर के गीता भवन रोड़ से साढ़े चार करोड़ रुपये की पकड़ी गई हेरोइन से मिलती है।
दवा विक्रेता बेच रहे गुपचुप नशा
गुरदासपुर के नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों का गिरता जा रहा ग्राफ इस बात का प्रमाण है कि बाहर अभी भी लोगों को नशा मिल रहा है। अगर नशा मुक्ति केंद्र में जो लोग दाखिल हुए थे अगर उनके ही आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो सकता है। नशा करने वाले मरीज को जब बाहर नशा नहीं मिलता तो उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गुरदासपुर के नशा मुक्ति केंद्र में मरीज ना आने का मुख्य कारण यही है कि बाहर नशे की सप्लाई चल रही है। नाम न छापने की शर्त पर पर इस बात को कुछ डॉक्टरों ने भी माना है।