अब निजी स्कूलों को मात दे रहा प्राइमरी स्मार्ट स्कूल
कॉलेज रोड पर स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाला कोई भी छात्र ऐसा सोच भी नहीं सकता था कि यह स्कूल स्मार्ट बन पाएगा लेकिन दैनिक जागरण के सहयोग एवं स्कूल की मुख्य अध्यापिका के प्रयास से ऐसा मुमकिन हो पाया है।
अशोक कुमार थापा, गुरदासपुर
कॉलेज रोड पर स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाला कोई भी छात्र ऐसा सोच भी नहीं सकता था कि यह स्कूल स्मार्ट बन पाएगा, लेकिन दैनिक जागरण के सहयोग एवं स्कूल की मुख्य अध्यापिका के प्रयास से ऐसा मुमकिन हो पाया है। स्मार्ट स्कूल बनने से जहां प्रतिवर्ष बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं अब यह स्मार्ट स्कूल निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। स्कूल प्रबंधकों द्वारा अब अंग्रेजी विषय को भी शामिल किया गया है, जिसके चलते बच्चों का अंग्रेजी में बोलने, सीखने और पढ़ने के ढंग में भी रोचकता बढ़ रही है। बता दें कि आज से 2 वर्ष पहले इस स्कूल की हालत इतनी खस्ता थी कि यहां पर बरसात के मौसम में अक्सर बच्चों को दूसरे स्कूलों में कुछ दिनों तक पढ़ाई के लिए शिफ्ट कर दिया जाता था जिसके चलते जहां बच्चों को आने जाने में परेशानी होती थी, वहीं बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होती थी। स्कूल प्रबंधकों द्वारा स्कूल की हालत को सुधारने के लिए अपने स्तर पर प्रयत्न तो किया जाता था, लेकिन फंडिग न मिल पाने के चलते बच्चों को अंग्रेजों के जमाने की जेल में ही पढ़ाई करवाई जाती थी। सरकार से मदद ना मिलती देख स्कूल की मुख्य अध्यापिका ने जागरण प्रतिनिधी से मिले और उसे सारी समस्या बताई। जागरण द्वारा बच्चों एवं स्कूल प्रबंधकों की समस्या को प्रमुखता से उजागर किया गया। इसके साथ ही स्कूल की मुख्य अध्यापिका कंवलप्रीत कौर द्वारा स्कूल के लिए करीब डेढ़ लाख रुपये की राशि के सहयोग से स्कूल में सुधार किया गया। समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों से कड़ा संज्ञान लेते हुए विभाग द्वारा भी स्कूल की मरम्मत एवं स्कूल को स्मार्ट बनाने के लिए 10 लाख रुपये की ग्रांट जारी की। इसके पश्चात स्कूल की हालत इस कदर बदली कि अब इस स्कूल में बच्चों को हर प्रकार की निजी स्कूलों की भांति सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं।
आज भी उन दिनों को याद कर खड़े होते हैं रोंगटे : गुरप्रीत मसीह
स्कूल के छात्र गुरप्रीत मसीह ने बताया कि आज भी उन बरसात के दिनों को याद कर उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जब बरसात के दौरान स्कूल की छत से पानी टपकता था। बेहद खस्ता हाल होने के चलते इमारत के गिरने का खतरा तो बनता ही था साथ ही नीचे पानी खड़ा हो जाने के चलते उनके रोजाना कपड़े बरसात के दिनों तक खराब होते रहते थे।
पढ़ाई में ध्यान कम, पानी में गिरने का रहता था खतरा : शुभम
प्राइमरी स्कूल के छात्र शुभम का कहना है कि आज से 2 वर्ष पूर्व स्कूल की हालत तो ऐसी थी की पढ़ाई में ध्यान कम, जबकि बरसात के दिनों में पानी में गिरने का खतरा अधिक रहता था। पानी कि टपकाहट से उनके कपड़े तो गीले होते ही थे। साथ में उनके बस्तों में रखी किताबें भी भीग जाया करती थी। लेकिन अब स्मार्ट स्कूलों में पढ़ाई करने का मजा ही कुछ अलग आ रहा है। बारिश में बच्चों को ले जाने और छोड़ने में होती थी परेशानी : चंचल
अभिभावक चंचल ने बताया कि बरसात के दिनों में बच्चों को स्कूल ले जाने और छोड़ने में उनकी परेशानी बढ़ जाया करती थी, क्योंकि बच्चों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाता था। ऐसे में कई बार तो उन्हें अपनी दिहाड़ी भी तोड़कर बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना पड़ता था। सब लेकिन स्मार्ट स्कूल के बनने से प्राइमरी स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ रही है, जबकि निजी स्कूलों में बच्चों की संख्या प्रतिदिन कम हो रही है। स्कूल को स्मार्ट बनाकर सरकार ने दी राहत : अंजु बाला
अभिभावक अंजु बाला ने कहा कि सरकारी स्कूलों में अधिकतर गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन स्कूल को स्मार्ट बनाए जाने के चलते अब उनके बच्चे भी निजी स्कूलों की भांति अच्छी शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे। छात्रों के अभिभावकों का यह भी कहना है कि स्मार्ट स्कूल बनने से बच्चों का पढ़ाई के प्रति भी मोह बढ़ रहा है। इसके साथ ही अध्यापक भी बच्चों को अधिक से अधिक शिक्षित करके स्मार्ट स्कूलों का क्रेडिट ले रहे हैं।
बच्चों को स्कूलों में सभी सुविधाएं करवाई जाएंगी मुहैया : डीईओ
डीइओ प्राइमरी विनोद कुमार ने बतया कि बच्चों की शिक्षा को गंभीरता से लेते हुए जहां स्कूलों को स्मार्ट बनाया जा रहा है। वहीं बच्चों को स्कूलों में सभी सुविधाएं भी मुहैया करवाई जा रही हैं। जिले के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए बिल्डिग्स को पक्का किया जा रहा है। वहीं, उनको बुनियादी सुविधाओं से भी लैस किया जा रहा है। स्मार्ट स्कूल बनने से बच्चों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिल रहा है।