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मां ने छोड़ा, एनआरआइ पिता ने मुंह मोड़ा, अब कमरे में 'कैद' है सिद्धार्थ

मां- बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए विदेश में भेज तो देते है लेकिन जो बच्चे बाद में माता पिता का हाल भी नहीं जानते।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 06:00 AM (IST)
मां ने छोड़ा, एनआरआइ पिता ने मुंह मोड़ा, अब कमरे में 'कैद' है सिद्धार्थ
मां ने छोड़ा, एनआरआइ पिता ने मुंह मोड़ा, अब कमरे में 'कैद' है सिद्धार्थ

संवाद सहयोगी.बटाला

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मां- बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए विदेश में भेज तो देते है, लेकिन जो बच्चे बाद में माता पिता का हाल भी नहीं जानते। उन माता-पिता का क्या नसीब होता होगा, वही जानते है। ऐसी ही दर्दनाक कहानी बटाला के चक्करी बाजार निवासी सीआइडी से रिटायर्ड आफिसर राजिदर कुमार की है।

राजिदर कुमार ने वर्ष 2000 में आपने बड़े बेटे अरविद को पढ़ने के लिए कनाडा भेजा दिया था और बेटे ने वर्ष 2002 में कनाडा की नागरिकता हासिल करने के लिए कनाडा में रह रही बंग्ला देश की लड़की से शादी कर ली थी और वर्ष 2004 में उन दोनों का तलाक हो गया और अपने आठ माह के बेटे सिद्धार्थ को अपने माता-पिता के पास बटाला भेज दिया। दादा- दादी ने हर तरह से उस पोते का पालन पोषण किया। धीरे-धीरे जब पोता बड़ा हुआ तो पोते की हरकतों से उनको आभास होने लगा कि इसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है, जिसके चलते पोते को दादी -दादी ने अपने ही घर में छिपाकर रखना पड़ रहा है, क्योंकि पोते की दिमागी संतुलन खराब होने से वे सामान की तोड़ फोड़ करने लग जाता है।

एक कमरे में बंद कर रखा जाता है किशोर को रजिदर कुमार ने बताया कि पोते की दिमागी संतुलन खराब होने से उसे खुला नहीं छोड़ा जा सकता है, जब वह कमरे से बाहर हो तो भागने का प्रयास करता है। इसीलिए इसे कमरे में बंद करके ताला लगाकर रखा गया है। कमरे के मेन गेट पर संगलियों का भी उपयोग किया गया है।

परेशानियों में जी रहे हैं हम

दादी वानिश ने कहा कि उनके पोते की इस हालत के बारे में उसके माता-पिता को पता था, इसीलिए इसे हमारे पास रख दिया। अब हमसे पोते सिद्धार्थ की यह हालत देखी नहीं जाती। उन्होंनें ने विदेश में रह रहे अपने बेटे से मांग करते हुए कहा कि अपने बेटे को ले जाए और उसका उपचार करवाए।

कनाडा में रह रहे बेटे ने हमसे संर्पक तोड़ दिया

दादा रजिदर कुमार ने बताया कि जब उनसे पोते की यह हालत देखी नहीं जा रही थी तो करीब पांच साल पहले उन्होंने कनाडा में रह रहे अपने बेटे से संपर्क किया और कहा कि हम खुद बीमार रहते हैं। तुम सिद्धार्थ को ले जाओ और अच्छी तरह उपचार करवाओ। इसके बाद उनके बेटे हमसे बात करनी बंद कर दी। 17 साल का हो गया है पोता

रजिदर कुमार ने बताया कि जब उनका पोता आठ महीने का था ,तभी उसके बेटे ने उनके पोते को यहा बटाला में उनके पास छोड़ दिया था। अब उनका पोता सिद्धार्थ 17 साल का हो गया है।


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