गुरदासपुर में बाइक सवार को कार ने मारी टक्कर, दस फीट तक घसीटने से मौत
जेल रोड स्थित रविदास चौक पर बुधवार शाम चार बजे हुए एक दर्दनाक हादसे में बैंक से लोन लेने आए एक व्यक्ति की मौत हो गई। गांव रतनगढ़ के जनक राज पत्नी परमजीत कौर के साथ बाइक पर एक निजी बैंक से बिजनेस करने के लिए लोन लेने आए थे।
गुरदासपुर, जेएनएन। जेल रोड स्थित रविदास चौक पर बुधवार शाम चार बजे हुए एक दर्दनाक हादसे में बैंक से लोन लेने आए एक व्यक्ति की मौत हो गई। थाना दीनानगर के गांव रतनगढ़ के जनक राज अपनी पत्नी परमजीत कौर के साथ बाइक पर यहां एक निजी बैंक से बिजनेस करने के लिए लोन लेने आए थे। लोन के लिए आवेदन देने के बाद वे वापस जा रहे थे कि एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया।
टक्कर मारने के बाद कार ने जनक राज को दस फीट तक घसीटा, सिर जमीन पर रगड़ने से उनकी मौत हो गई। हालांकि पीछे बैठी उनकी पत्नी बाल-बाल बच गई। जनक राज की पत्नी परमजीत कौर ने बताया कि उनके दो बेटे व एक बेटी है। उनके पति दिहाड़ी का काम करते थे। घर का गुजारा भी मुश्किल से चल रहा है। ऐसे में बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए उन्होंने बिजनेस करने की सोची थी। इसके लिए वे गुरदासपुर के एक निजी बैंक से लोन लेने आए थे। लोन के लिए आवेदन करने के बाद वे वापस गांव जा रहे थे कि तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी और पति को काफी दूर तक घसीटा। वह पीछे बैठी होने के कारण टक्कर वाली जगह पर ही गिर गई। उनको कोई खरोच भी नहीं आई है।
लाश उठाने के लिए करनी पड़ी मिन्नतें हादसे के बाद थाना सिटी से सब इंस्पेक्टर कंवलजीत ¨सह पुलिस पार्टी सहित मौके पर पहुंचे। इस दौरान शव को सड़क पर पड़ा देख आसपास कोई भी वाहन चालक अपनी गाड़ी नहीं रोक रहा था। एक छोटा हाथी चालक को जब पुलिस ने रोका तो उसने लाश ले जाने से साफ मना कर दिया। इसके बाद पुलिस ने सख्ती दिखाई और इंसानियत का वास्ता देकर लाश को अस्पताल ले जाने के लिए मनाया। पत्नी को कहा था बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाएंगे परमजीत कौर ने बताया कि उनके पति बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित थे। वे बैंक से वापस आती हुई पति की बातों को गौर से सुन रही थी।
वे बोल रहे थे कि लोन पास होने पर बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलवाएंगे। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। बार-बार बेहोश हो रही थी पत्नी जनक राज के तीनों बच्चे अभी छोटे ही हैं। जब दोनों सुबह बैंक जा रहे थे तो छोटी बेटी ने शाम से पहले घर वापस आने को कहा था। तीनों बच्चे पिता की मौत की खबर सुनकर स्तब्ध है। गांव में भी मातम छाया हुआ है। उधर, परमजीत कौर करवाचौथ से पहले अपने माथे का संदूर उजड़ जाने का गम बर्दाश्त नहीं कर पा रही और बार-बार बेहोश हो रही थी।