नशा नहीं देने पर दोस्त की हत्या करने वाले को उम्रकैद
नशा नहीं देने पर दोस्त की हत्या करने के एक आरोपित को न्यायाधीश केके सिगला की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : नशा नहीं देने पर दोस्त की हत्या करने के एक आरोपित को न्यायाधीश केके सिगला की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस केस में दूसरा आरोपित भगोड़ा है। घटना दो साल पुरानी है।
गांव सेखवां की बलजीत कौर ने थाना सेखवां पुलिस को 12 मार्च 2017 को शिकायत दी थी कि उनके बेटे युवराज की उसके दोस्तों ने हत्या कर दी। युवराज हिमाचल प्रदेश में ड्राइविग करता है। मार्च में वह गांव आया हुआ था और गांव के ही गुरुद्वारा दुख निवारण के लंगर हॉल में सेवा करता था। लंगर के दौरान ही उसे गांव के ही लवप्रीत सिंह उर्फ लव और सुखविदर सिंह जबरन उठाकर अपने साथ ले गए थे। इसके बाद उक्त दोनों आरोपितों ने उसके सिर पर तेजधार हथियारों से हमला करके उसे मौत के घाट उतार दिया।
जांच अधिकारी सकत्तर सिंह ने मामले में लवप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया था जबकि सुखविंदर फरार हो गया। लवप्रीत ने पुलिस को बताया कि युवराज को उन्होंने नशा देने को कहा था, लेकिन वह टालने लगा। उन्हें नशा लेकर नहीं देने में उससे वे रंजिशन रखने लगे। उसने साजिश के तहत अपने दोस्त सुखविदर के साथ मिलकर युवराज का अगवा कर लिया। इसके बाद तेजधार हथियारों से हमला करके उसकी हत्या कर दी। आसपास के लोगों से जानकारी मिलने पर युवराज की मां ने पुलिस को शिकायत दी थी। इसके बाद पुलिस ने लवप्रीत को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
न्यायाधीश केके सिगला की अदालत ने दोनों आरोपितों पर आरोप तय होने के बाद उम्रकैद की सजा व दस हजार के जुर्माना की सजा सुनाई है। उधर, सुखविदर सिंह पुलिस की गिरफ्त से लगातार भगोड़ा चला आ रहा था। एडवोकेट हिरदेश्वर सिंह जंजुआ ने बताया कि अदालत ने पीड़ित पक्ष को इंसाफ दिया है। मृतक की मां को इस फैसले से सुकून मिला है। मां बोली, दूसरे आरोपित को भी मिले सजा
युवराज सिंह की मां बलजीत कौर का कहना है लवप्रीत को सजा मिलने से उन्हें इंसाफ मिला है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि पुलिस भगोड़े लवजिदर सिंह को भी पकड़कर उसे भी सख्त सजा दे। परिवार में एकमात्र कमाने वाला था युवराज
युवराज परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसके पिता की पहले ही मौत हो चुकी थी। उसकी मां बलजीत कौर के मुताबिक उसके पति नरेंद्र सिंह की मौत के बाद बेटा युवराज ही उसका बुढ़ापे में एक मात्र सहारा था। उसकी मौत के बाद अब उसकी दुनिया ही उजड़ गई है।