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एसपी वरिदरप्रीत सिंह के बेटे हार्दिक सिंह का भारतीय हॉकी टीम में चयन

जांबाज एसपी आपरेशन वरिदरप्रीत सिंह के बेटे हार्दिक सिंह का टोकियो (जापान) में ओलपिक खेलने वाली भारतीय हॉकी टीम में चयन हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jun 2021 06:49 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jun 2021 06:49 PM (IST)
एसपी वरिदरप्रीत सिंह के बेटे हार्दिक सिंह का भारतीय हॉकी टीम में चयन
एसपी वरिदरप्रीत सिंह के बेटे हार्दिक सिंह का भारतीय हॉकी टीम में चयन

संजय तिवारी, बटाला

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जांबाज एसपी आपरेशन वरिदरप्रीत सिंह के बेटे हार्दिक सिंह का टोकियो (जापान) में ओलपिक खेलने वाली भारतीय हॉकी टीम में चयन हुआ है। इस 16 सदस्यीय टीम में से आठ खिलाड़ी पंजाब के हैं, जिनमें हार्दिक भी शामिल है। 23 के हार्दिक इससे पहले भारत के लिए सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर वर्ग में हुई हॉकी की चैंपियनशिप में खेलकर अपना लोहा मनवा चुके हैं।

हार्दिक सिंह के पिता एसपी आपरेशन वरिदरप्रीत सिंह निवासी गांव खुसरोपुर (जालंधर) ने बताया कि उन्हें बहुत खुशी हुई कि उनका बेटा हार्दिक सिंह का चयन टोकियो में ओलपिक खेलने वाली हॉकी टीम में हुआ है। उन्होंने बताया कि हार्दिक का हॉकी से लगाव बचपन से ही है। वह किसी भी कीमत पर अपनी ग्राउंड का अभ्यास मिस नहीं करता था। उन्होंने बताया कि ओलंपिक 23 जुलाई से 5 अगस्त तक चलेगी, जो पहले 2020 को होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते स्थगित हो गई थी। हार्दिक सिंह मौजूदा समय में सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर में माहिर कोचों की निगरानी में ट्रेनिंग ले रहा है। दादा से मिली हॉकी खेलने की प्रेरणा

एसपी वरिदरप्रीत सिंह ने बताया कि उनके पिता प्रीतम सिंह राए की एक इच्छा थी कि उनके घर में ओलंपियन पैदा हो। पहले पिता ने उन्हें हॉकी प्लेयर बनाया, वह खुद नेशनल तक खेल चुके हैं, लेकिन किसी कारण सफल नहीं हो सके। बाद में वे 1988 में पुलिस में भर्ती हो गए थे। उनके बेटे हार्दिक को अपने दादा और उनके पिता प्रीतम सिंह से ही हॉकी खेलने की प्रेरणा मिली, क्योंकि उनके पिता खेलों को हमेशा से ही अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते थे। एसपी ने बताया कि उनके पिता इंडियन नेवी में 20 साल कोच रहे। अब बैंगलोर में हुए भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ियों के चयन में हार्दिक के शामिल होने पर उन्हें खुशी महसूस हो रही है। भारत का नाम रोशन करना हार्दिक का लक्ष्य

एसपी ने बताया कि उनका बेटा हार्दिक सिंह का लक्ष्य यह है कि वे अपने भारत का नाम रोशन करे। इसके लिए वह पूरी तरह से मेहनत कर रहा है। उन्होंने बताया कि उनके गांव खुसरोपुर, जालंधर में 29 वर्ष पहले गांव में एक ओलंपियन बना था। अब 29 वर्ष के बाद उनका बेटा ओलंपिक में आया है। अभी उनका बेटा जालंधर में बीए दूसरा साल में पढ़ाई कर रहा है।


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