डिप्टी डीईओ ने नहीं लिया मांग पत्र, अध्यापक भड़के
साझा अध्यापक मोर्चा ने मांगों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को मांग पत्र सौंपा चाहा तो उन्होंने मना कर दिया।
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : साझा अध्यापक मोर्चा ने मांगों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी को मांग पत्र सौंपा चाहा तो उन्होंने मना कर दिया। यहां तक कि अधिकारी ने कार्यालय से बाहर आकर अध्यापकों की बात भी नहीं सुनी। इसके बाद अध्यापक भड़क गए तथा मिनी सचिवालय के नीचे मुख्य द्वार के बाहर जोरदार प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। धरने की सूचना मिलते ही तहसीलदार महेंद्र पाल ¨सह मौके पर पहुंचे और अध्यापकों का मांग पत्र स्वीकार करके धरना समाप्त करवाया।
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे जिला प्रधान कुलदीप ¨सह पुरेवाल ने बताया कि एसएसए रमसा अध्यापक यूनियन के सदस्य कम वेतन के चलते जिला अधिकारियों को मांगपत्र सौंपना चाहते थे। लेकिन जिले के सहायक शिक्षा अधिकारी राकेश गुप्ता ने कर्मचारियों का मांग पत्र लेने से साफ इंकार कर दिया। राकेश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार की हिदायतों के चलते वह किसी भी कर्मचारी से मांग पत्र नहीं ले सकते हैं। इसके बाद अध्यापकों ने रोष स्वरूप मिनी सचिवालय के मुख्य द्वार पर धरना लगा दिया। इसके चलते अपने कार्यालयों से छुट्टी करके घर वापस जाने वाले कर्मचारी मुख्य द्वार पर ही रुक गए। इसके बाद तहसीलदार महेंद्र पाल ¨सह पहुंचे और मांग पत्र लेकर धरना समाप्त करवाया। इस मौके पर अमरजीत ¨सह शास्त्री, बलवंत ¨सह, सुरेंद्र पाल, दलजीत ¨सह, अमर वीर कौर, हरप्रीत कौर, पुनीत कौर, हर¨जदर पाल, सुरेंद्र पाल कौर, बल¨वदर ¨सह मनप्रीत ¨सह, राजेंद्र ¨सह आदि लोग उपस्थित थे। मौजूदा सरकार कर्मचारी विरोधी : पुरेवाल
साझा अध्यापक मोर्चा के जिला प्रधान कुलदीप ¨सह पुरेवाल ने कहा कि मौजूदा सरकार अध्यापक विरोधी है। इसके चलते आने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान अध्यापक अपने पावर का इस्तेमाल करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य स्तरीय धरना बुधवार को पटियाला परिसर में दिया जा रहा है, जिसमें हजारों की संख्या में अध्यापक शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि कैप्टन सरकार अध्यापक विरोधी नीतियां अपना कर उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर रही है। धमकियों से परेशान हो रहे हैं अध्यापक
जिला प्रधान कुलदीप ¨सह पुरेवाल का कहना है कि अध्यापकों को दी गई ऑप्शन के चलते अधिकतर अध्यापक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। अगर अध्यापक अपनी नौकरी को ज्वाइन नहीं करेंगे तो उन्हें विभाग की ओर से डराया धमकाया जा रहा है। अगर वह वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हैं तो उनको तबादलों की धमकी दी जाती है। इसके चलते अधिकतर अध्यापक मानसिक रूप से भी परेशान हो रहे हैं।