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अपने हलकों की लीड को बरकरार रखना कांग्रेस विधायकों के लिए चुनौती

लोकसभा हलका गुरदासपुर से 2017 में हुए उपचुनाव के दौरान भारी मतों से जीत हासिल करने वाले पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ को कांग्रेस द्वारा एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 07:37 PM (IST)
अपने हलकों की लीड को बरकरार रखना कांग्रेस विधायकों के लिए चुनौती
अपने हलकों की लीड को बरकरार रखना कांग्रेस विधायकों के लिए चुनौती

सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर

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लोकसभा हलका गुरदासपुर से 2017 में हुए उपचुनाव के दौरान भारी मतों से जीत हासिल करने वाले पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ को कांग्रेस द्वारा एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतारा गया है। ऐसे में लोकसभा हलका गुरदासपुर में पड़ते नौ विधानसभा हलकों में से सात हलकों में काबिज कांग्रेस के हलका विधायकों की ओर से अपनी लीड को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती साबित होगी।

गौरतलब है कि गुरदासपुर के पूर्व सांसद विनोद खन्ना का अप्रैल 2017 में निधन होने के उपरांत हुए उपचुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी की ओर से अबोहर से तीन बार विधायक रहे व पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मौजूदा प्रधान सुनील जाखड़ को चुनाव मैदान में उतारा गया। इसके चलते जाखड़ ने अपने मु य प्रतिद्वंद्वि स्वर्ण सलारिया को 193219 वोट से बड़े अंतर से करारी मात दी थी। नौ में से सात हलकों में है कांग्रेस का कब्जा

मौजूदा समय पंजाब में कांग्रेस पार्टी की सरकार है। लोकसभा हलका गुरदासपुर में पड़ते कुल नौ विधानसभा हलकों में से सात विधानसभा हलकों पर कांग्रेस का कब्जा है। 2017 में हुए उपचुनाव दौरान कांग्रेस को विधानसभा हलका भोआ से 7796, पठानकोट से 8710, गुरदासपुर से 29656, दीनानगर से 11387, कादियां से 26348, फतेहगढ़ चूडि़यां से 32296 व डेरा बाबा नानक से 44074 के साथ साथ अकाली दल के विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल के हलके से 26555 और भाजपा के दिनेश बब्बू के हलके से 6101 की लीड मिली थी। विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद होने से उप चुनाव में मिला था फायदा

लोकसभा उपचुनाव विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद ही होने के चलते कांग्रेसी विधायक अपनी पार्टी उम्मीदवार को भारी लीड दिलाने में सफल हो गए थे। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी को सत्ता में आए दो साल बीत चुके हैं। इसके चलते कई वर्ग कांग्रेस पार्टी से निराश चल रहे हैं। मुलाजिम व किसान वर्ग अपनी मांगों को लेकर लगातार संघर्ष कर रहा है। इसके चलते कांग्रेसी विधायकों के लिए उपचुनाव के दौरान कांग्रेसी उम्मीदवार को दिलाई गई लीड को बरकरार रखना काफी मुश्किल हो सकता है।


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