आज सुप्रीम कोर्ट करेगी मिनी बसों के भविष्य का फैसला
पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात के लिए मिनी बसों की अहम भूमिका है।
कुलदीप ¨सह जाफलपुर, काहनूवान
पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात के लिए मिनी बसों की अहम भूमिका है। राज्य में 6700 से अधिक मिनी बसें 13 हजार के करीब गांवों व 700 कस्बों को विभिन्न बड़े शहरों के साथ जोड़ती हैं। मगर अब इन मिनी बसों पर सुप्रीम कोर्ट के 1 नवंबर को आने वाले एक अहम फैसले के कारण हमेशा के लिए ब्रेक लग सकती है। एक मामले में कुछ ट्रांसपोर्ट पक्षों द्वारा इन बसों के परमिट रद करने की मांग की गई है, जिसका फैसला 1 नवंबर को सर्वोच्च अदालत करेगी।
हैरानी की बात यह है कि पंजाब के समूचे ट्रांसपोर्टर ढांचे में आज तक मिनी बसों की कोई नीति दर्ज नहीं है। जानकारी के अनुसार 1985 में बेरोजगार नौजवानों को मिनी बसों के परमिट जारी किए गए थे। फिर 1997 में कुछ मिनी बसों के परमिट जारी हुए। इसके बाद 2003-04 में 3580 मिनी बसों के परमिट जारी हुए। इसके बाद 2010- 2012 में भी बादल सरकार के समय परमिट जारी हुए। मामले के अनुसार 2012 में ही मोदगिल व विजय ट्रैवल ने मिनी बसों का परमिट न मिलने पर हाईकोर्ट का सहारा लिया। इसके बाद पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने समूह परमिट रद कर दिए। इस फैसले के बाद मिनी बस की यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने 3580 बसों के परमिट बहाल रखते हुए 20 दिसंबर 2016 को बाकी परमिट रद कर दिए। मगर इस फैसले पर संतुष्टि न जताते हुए मोदगिल व विजय ट्रांसपोर्टर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में चले गए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई 1 नवंबर को होनी है। अब एक नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के होने वाले फैसले के बाद ही सभी मिनी बसों वालों का भविष्य निर्भर करेगा। ..तो 30 हजार परिवार हो जाएंगे रोजगार
एक अंदाजे के मुताबिक पंजाब में सात हजार मिनी बसों से आर्थिक व कारोबार तौर पर 30 हजार से अधिक परिवार जुड़े हैं। इनमें बस मालिक, बस चालक, कंडक्टर व बस के हेल्पर शामिल हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट मिनी बसों के खिलाफ फैसला देता है तो ये हजारों परिवार एक बार फिर से बेरोजगार हो जाएंगे। यह मामला उनके ध्यान में है। मिनी बसों का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर ही निर्भर करता है।
अरुणा चौधरी, परिवहन मंत्री।