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70 फीसद थाना प्रभारी 10वीं पास, नहीं जानते अंग्रेजी, ¨हदी

तहसील के तहत आते 13 थानों के 70 फीसद थाना प्रभारी 10वीं ही पास हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 10:35 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 10:35 PM (IST)
70 फीसद थाना प्रभारी 10वीं पास, नहीं जानते अंग्रेजी, ¨हदी

विनय कोछड़, बटाला

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तहसील के तहत आते 13 थानों के 70 फीसद थाना प्रभारी 10वीं ही पास हैं। इन थाना प्रभारियों को अंग्रेजी व ¨हदी नहीं आती। ये केवल पंजाबी लिखना व बोलना समझते हैं। ऐसे में अगर उनके पास एनआरआइ या बाहरी लोग ¨हदी व अंग्रेजी भाषा में शिकायत लेकर पहुंचते हैं तो ये इग्नोर कर देते हैं। इससे एनआरआइ व बाहरी लोगों को परेशानी होती है। एसएसपी के समक्ष पेश होने के बाद इनकी सुनवाई होती है।

पिछले दिनों बटाला तहसील के रूरल व अर्बन इलाकों में ऐसे केस सामने हैं, जिनमें एनआरआइ व बाहरी लोग अपनी शिकायत ¨हदी व अंग्रेजी में लेकर गए तो थाना प्रभारी उनकी भाषा को नहीं समझ पाए और कहने लगें कि उन्हें तो सिर्फ पंजाबी भाषा का ज्ञान है। इसलिए वे अपनी शिकायत पंजाबी भाषा में लिख सकते हैं। मायूस होकर ये लोग इंसाफ के लिए एसएसपी बटाला उपेंद्रजीत ¨सह घुम्मन से मिले, जिन्होंने इनकी बात को बड़े ध्यानपूर्वक से सुना और समाधान का आश्वासन दिया। इन लोगों को आई मुश्किलें

पिछले दिनों आस्ट्रेलिया से वापस लौटे एनआरआइ चंद्र मोहन शर्मा थाना सदर में गए थे। उन्होंने अपनी शिकायत पुलिस को अंग्रेजी भाषा में दी तो थाना प्रभारी तुरंत बोले कि उन्हें तो केवल पंजाबी भाषा आती है, इसलिए पंजाबी में शिकायत लिखे। मामला एसएसपी के पास पहुंचा तो इसे सुलझाया गया। पिछले 25 साल से अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में रहने वाले बटाला के अर्बन स्टेट निवासी कुल¨वद्र ¨सह ने बताया कि दस दिन पहले उनके जरूरी दस्तावेज घूम हो गए। इसकी शिकायत लेकर वे थाना सदर गए, जहां पर मौजूद थाना प्रभारी को उन्होंने अंग्रेजी में लिखकर शिकायत दी तो उनका रिप्लाई था कि वे अंग्रेजी भाषा नहीं जानते। इसी तरह अन्य राज्यों के लोगों की संख्या बटाला में 20 फीसद है। उनमें लोहा मंडी, मुर्गा मोहल्ला ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर सभी घर बाहरी लोगों के हैं। वे पिछले 40 साल से रहते हैं। इनमें महिपाल व देवगंगा निवासी उत्तर प्रदेश, जिला बरेली ने बताया कि उन्हें एक बार थाना सिविल लाइन में उनके क्षेत्र में बढ़ रहे लूटपाट की घटनाओं को लेकर शिकायत लिखवाने के लिए जाना पड़ा। उन्होंने अपनी शिकायत ¨हदी भाषा में लिखी। ड्यूटी पर मौजूद थाना प्रभारी ने साफतौर पर कह दिया कि अगर अपनी शिकायत पंजाबी में लिख लेकर आते हो तो इसकी कार्रवाई को अमल पर लाया जाएगा, वरना नहीं। मामला यूनियन के समक्ष पहुंचा। उन्होंने एसएसपी के समक्ष गुहार लगाई फिर जाकर कार्रवाई हुई। पहले भर्ती फिजिकल फिटनेस पर होती थी

पुलिस विभाग के जानकार बताते हैं पहले पुलिस में फिजिकल टेस्ट के आधार पर भर्ती कर दिया जाता था। तब पढ़ाई का इतना अहम रोल नहीं था। जितने पुराने पुलिस थाना प्रभारी हैं, वे अधिकतर मैट्रिक पास हैं। इसलिए वे अंग्रेजी भाषा बोलने व लिखने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन अब ट्रेंड चेज हो चुका है। नई भर्ती में सभी लड़के साक्षर हैं, उनके पास हाईफाई डिग्री है। पुराने थाना प्रभारी 10वीं पास हैं। इन्हें विभाग ने सीनियोरिटी के हिसाब से पद्दोन्नत किया है। हां, वर्तमान में जितनी नई भर्ती पुलिस में आई है, वे सब ग्रेजुएट व पोस्ट-ग्रेजुएट हैं। वे अच्छी तरह पंजाबी, ¨हदी व अंग्रेजी बोलने व लिखने में सक्षम हैं। बकायदा कंप्यूटर में भी मास्टरमाइंड हैं। हालांकि पुराने थाना प्रभारी तो कंप्यूटर तक नहीं चलाना जानते। वे आज की तारीख में भी सारा मैन्युअल तरीके से काम करते हैं।

उपिंदर सिंह, एसएसपी, बटाला।


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