गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव से पहले टिकट के लिए 'दंगल'
विनोद खन्ना के निधन से खाली हुई गुरदासपुर लोकसभा सीट के लिए भाजपा व कांग्रेस में टिकट को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। ...और पढ़ें

गुरदासपुर [सुनील थानेवालिया]। भले ही गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव को लेकर अभी तक चुनाव आयोग ने तारीख का एलान न किया हो, लेकिन विभिन्न पार्टियों ने अभी से ही उपचुनाव के लिए कमर कसना शुरू कर दी है। इस चुनावी दंगल में भाजपा और कांग्रेस की साख दांव पर है, जिसे बचाने के लिए दोनों ही पार्टियों की ओर से अंदरखाते संभावित उम्मीदवारों को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है। इस वजह से आने वाले कुछ हफ्तों में अंदरूनी खींचतान तेज होने की संभावना है।
पंजाब विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार के कारण भाजपा को गहरी चोट लगी। कांग्रेस ने अकाली भाजपा और आप को करारी मात दी। अब उपचुनाव भाजपा के लिए सीधे रूप से वर्चस्व का सवाल है। भाजपा लीडरशिप पंजाब की हार को अकाली दल की हार के साथ जोड़ कर देखती है, लेकिन इस उपचुनाव में भाजपा अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारेगा।
भाजपा की राह आसान नहीं
भाजपा के लिए यह रास्ता आसान नहीं दिख रहा है। भाजपा इस सीट से असुरक्षित महसूस करती आई है। यही कारण है कि लगातार पांच बार विजेता कांग्रेसी सांसद सुखबंस कौर भिंडर हराने के लिए भाजपा को 1998 के चुनाव में फिल्म स्टार विनोद खन्ना को चुनाव मैदान में उतारना पड़ा। विनोद खन्ना को लगातार तीन बार जीत हासिल हुई। चौथी बार वह कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा से हार गए और पांचवीं बार वह फिर से जीत गए थे। खन्ना के निधन के बाद अब भाजपा लीडरशिप फिर से किसी स्टार चेहरे की तलाश में है। निश्चित रूप में स्टार चेहरे की तलाश भाजपा की कमजोरी को साबित करती है।
अक्षय कुमार के नाम की चर्चा
विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना के अलावा फिल्म स्टार अक्षय कुमार व अक्षय खन्ना के नाम पर भी चर्चा चल रही है, लेकिन न तो अक्षय खन्ना और न ही अक्षय कुमार ने इसकी पुष्टि की है। इस सीट से भाजपा के सीनियर नेता व बाबा रामदेव के करीबी स्वर्ण सलारिया को इस बार मजबूत दावेदार माना जा रहा है। सलारिया मूल रूप से हलके के निवासी हैं और पार्टी में एक बहुत बड़ा खेमा स्थानीय नेता को ही टिकट देने की वकालत कर रहा है।
टिकट के लिए बाजवा और कैप्टन का जोर
पंजाब में कांग्रेस सरकार बनने के उपरांत कांग्रेस उप चुनाव को एक तरह से जीती हुई सीट मान कर चल रही है। सीट जीत कर उसको यह भी साबित करना पड़ेगा कि पिछले 6-8 माह की कांग्रेस सरकार के कार्यों से लोग संतुष्ट है। इस हलके के टिकट के लिए कांग्रेस के बड़े नेता कतार में है। सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवारों को लेकर प्रताप सिंह बाजवा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच फिर से खेमेबंदी उभर कर सामने आई है।
सेखड़ी की खेमाबंदी
बाजवा अपनी पत्नी चरणजीत कौर बाजवा को चुनाव लड़ाना चाहते है, लेकिन दूसरी तरफ कैप्टन के करीबी अश्विनी सेखड़ी मजबूत दावा पेश कर रहे हैं। सेखड़ी जिला गुरदासपुर में अकेले उम्मीदवार थे, जो मामूली अंतर से बटाला विधानसभा से चुनाव हार गए थे। इसके अलावा दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। इसके अलावा इस सीट पर कैप्टन अमङ्क्षरदर सिंह की पत्नी परनीत कौर व बेटे रणइंद्र सिंह के नाम पर भी चर्चा है। आगामी समय में टिकट के दावेदारों संबंधी दिलचस्प समीकरण बनते नजर आ रहे हैं।

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