गुरु नानक देव जी के चोला साहिब के दर्शन को उमड़ी संगत
ऐतिहासिक स्थान डेरा बाबा नानक में श्री गुरु नानक देव जी के अंग वस्त्र चोला साहिब के दर्शन करने के लिए संगत दूर दराज से पहुंचने लगी है।
संवाद सहयोगी, कलानौर : ऐतिहासिक स्थान डेरा बाबा नानक में श्री गुरु नानक देव जी के अंग वस्त्र चोला साहिब के दर्शन करने के लिए संगत दूर दराज से पहुंचने लगी है। संगत हर साल चार से आठ मार्च तक इसको संग के मेले के रूप में मनाती है। संगत डेरा बाबा नानक की सीमा धुस्सी से पाकिस्तान सीमा पार स्थित गुरु द्वारा बसाए नगर करतारपुर साहिब के दर्शन यहां ही करती है।
संगत हर साल चार से आठ मार्च तक गुरु जी के अंग वस्त्रों के दर्शन करने दूर दराज से विभिन्न साधनों के माध्यम से डेरा बाबा नानक में आती है। रोचक तथ्य यह है कि जिला होशियारपुर के गांव खंडियाला सैनियां के गुरुद्वारा बारण साहिब से पोटियों पर भारी संख्या में पैदल संगत चोला साहिब के दर्शनों के लिए यात्रा करती है। संगत डेरा बाबा नानक की धुस्सी से गुरु नानक देव जी द्वारा बसाए श्री करतारपुर साहिब (पाकिस्तान) के दर्शन करती है। गुरु नानक देव जी ने अपने उदासी के लिबास उतारकर संसारी कपड़े पहनकर यहां खेतीबाड़ी का काम किया था, वहीं हाथ से किरत करने, वंड छकने, नाम जपने का उपदेश समूची दुनिया को दिया।
डॉ. कुलवंत सिंह खोखर की किताब गुरु नानक निवाजा बटाला में बताया गया है कि पहली पातशाही जब बगदाद गए तो उस वक्त के वहां के हाकम अस्माइल सफवी ने यह चोला गुरु जी को सत्कार के रूप में भेंट किया। पहली पातशाही की नौवीं वंशज काबली मल्ल बेदी हुए, जो गुरु जी की बड़ी बहन बेबे नानकी के हाथों का निकाला रुमाल व बगदाद के हाकम दरा दिया चोला डेरा बाबा नानक में लेकर आए थे। अंग वस्त्र शीशे में रखे गए हैं।