पशु डिस्पेंसरी बनी तबेला, इमारत खंडहर
चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की ओर से गांव स्तर पर सुविधाएं लागू करने के दावे किए जाते हैं लेकिन अफसोस वास्तव में सभी राजनीतिक दलों के दावे हवा हवाई होते दिखाई देते हैं।
महिदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर
चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की ओर से गांव स्तर पर सुविधाएं लागू करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन अफसोस वास्तव में सभी राजनीतिक दलों के दावे हवा हवाई होते दिखाई देते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण गांव रहीमाबाद में पूर्व अकाली भाजपा सरकार द्वारा लाखों रुपये की लागत से डेढ़ दशक पहले बनाई गई पशु डिस्पेंसरी की खस्ता हालत से मिलती है। पंजाब सरकार द्वारा डिस्पेंसरी की सुध न लेने के चलते डिस्पेंसरी अब तबेले का रूप धारण कर चुकी है।
गांव रहीमाबाद के बाहरवार 40 मरले की जमीन पर लाखों रुपये की लागत से जिला परिषद गुरदासपुर के अधीन चलने वाली इस पशु डिस्पेंसपरी का निर्माण करवाया गया था। इसका उद्घाटन उस समय के ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग के कैबिनेट मंत्री निर्मल सिंह काहलों ने 18 मार्च 2001 को किया था। उद्घाटन के बाद गांव रहीमाबाद का पशु डिस्पेंसरी गांव अदालतपुर, अठवाल, भुल्लर, नबीनगर, फत्तुपुर, निज्झरपुर, अर्लीभन्न, दलेलपुर, खुशीपुर आदि गांवों के पशु पालकों के लिए कुछ समय वरादन साबित हुआ था, लेकिन उस समय के बाद इस डिस्पेंसरी में तैनात कर्मचारी इधर उधर चले जाने के बाद अस्पताल की किसी ने भी सुध नहीं ली। इस समय पशुओं के गोबर के ढेर लगे हुए हैं तथा कुछ लोगों द्वारा अपने पशुओं का रैन बसेरा बनाया हुआ है।
डिस्पेंसरी की इमारत में लोगों द्वारा पशु बांधने के लिए बरामदे बनाने के अलावा चारा डालने के लिए जगह बनाई गई। चारा काटने वाले टोके व बरामदे बनाकर अवैध कब्जे किए हुए हैं। जबकि डिस्पेंसरी दिनों दिन खंडहर का रूप धारण कर रही है। डिस्पेंसरी पर कब्जे की शिकायत दी, पर कुछ नहीं हुआ
ग्राम पंचायत रहीमाबंद के सरपंच मनजीत सिंह ने बताया कि गांव की पंचायती जमीन में निर्मित की गई पशु डिस्पेंसरी पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जे किए गए हैं तथा इन कब्जों को छुड़ाने संबंधी संबंधित बीडीपीओ डेरा बाबा नानक को कई बार लिखित तौर पर अवगत करवाया गया है। इसके अलावा अवैध कब्जों संबंधी जीओजी द्वारा पंजाब सरकार को भी रिपोर्ट बनाकर भेजी गई हैं, लेकिन कब्जे जैसे के तैसे बरकरार है।