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डेंगू से लड़ने के लिए सरकारी तंत्र में नहीं दम, इसलिए असुरक्षित हम

डेंगू के मछर से लड़ने के लिए सरकारी तंत्र में दम नहीं है इसलिए हम असुरक्षित हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 09:00 AM (IST)
डेंगू से लड़ने के लिए सरकारी तंत्र में नहीं दम, इसलिए असुरक्षित हम
डेंगू से लड़ने के लिए सरकारी तंत्र में नहीं दम, इसलिए असुरक्षित हम

राजिदर कुमार, गुरदासपुर

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डेंगू के मच्छर से लड़ने के लिए सरकारी तंत्र में दम नहीं है, इसलिए हम असुरक्षित हैं। जिले के अर्बन एरिया में लाखों की आबादी बसी हुई है। लेकिन इनके घरों में डेंगू का लारवा चेक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की एंटी लारवा टीम में मात्र 20 कर्मचारी ही लगाए गए हैं। यानि इन्हीं 20 कर्मचारियों को जिले भर के अर्बन एरिया में डोर-टू-डोर जाकर डेंगू का लारवा चेक करना है। अधिक घर होने के कारण एंटी लारवा टीम बौनी साबित हो रही है। उधर, मौसम में नमी आने के साथ ही डेंगू का डंक तेज हो गया है। मंगलवार को डेंगू के चार नए मरीज मिले। अब तक कुल डेंगू से पीड़ित 85 मरीज मिल चुके हैं। पिछले पांच दिन में 19 मरीज डेंगू के मिले हैं।

डेंगू से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग व जिले की छह नगर कौंसिलों व बटाला की नगर निगम के अधिकारी कमर कस कर ताल ठोकते नजर आ रहे हैं, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिले के लोगों पर डेंगू का खतरा मंडरा रहा है। सिविल सर्जन कार्यालय में भी गत दिन हुई बारिश के कारण पानी इकट्ठा हो गया था। इसकी निकासी नहीं होने के कारण कई दिनों तक ऐसे ही एकत्र रहेगा। इसमें भी डेंगू का मच्छर पैदा हो सकता है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के लाख दावों के बावजूद डेंगू हर साल डंक मार रहा है। इसके बुखार की चपेट में आकर कई लोग अस्पताल में पहुंचते हैं तो कुछ जान से हाथ धो बैठते हैं। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हाथ मलते नजर आते हैं। समय रहते डेंगू से निपटने की तैयारियां नहीं की जाती हैं। इस वजह से लोगों को डेंगू का संताप झेलना पड़ता है। जिले में हर वर्ष डेंगू बुखार की समस्या आती है, लेकिन जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल को छोड़कर अन्य सरकारी अस्पतालों में डेंगू से लड़ने के लिए समुचित यंत्र ही नहीं है। कागजों में फागिग, दफ्तरी दावों को डेंगू

जिले में छह नगर कौंसिल व बटाला में एक नगर निगम हैं। उक्त कार्यालयों के अधीन आने वाली अधिकतर वार्डो में फागिग नहीं हुई है। अगर फागिग की भी गई है तो वह भी मात्र खानापूर्ति तक ही सीमित है। अगर गुरदासपुर शहर की बात करें तो यहां कौंसिल अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने रोटेशन वाइज सभी 29 वार्डो में फागिग करवा दी है। मगर गत दिनों भुवन नामक बच्चे की शंकर नगर में हुई मौत के बाद वार्ड के लोगों ने खुलासा किया कि यहां मात्र एक बार खानापूर्ति करते हुए ही फागिग करवाई गई है। साफ पानी में पनपता है डेंगू मच्छर

डाक्टरों के मुताबिक डेंगू मच्छर साफ पानी में पनपता है। ये मच्छर सुबह व शाम को ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसकी चपेट में आने वाले व्यक्ति बुखार से ग्रस्त हो जाते हैं। लोगों को चाहिए कि घर और आसपास किसी भी जगह पर साफ पानी न खड़ा होने दें। यहां तक कि पानी की टंकी भी बंद रखें। गमले में भी पानी न रहने दें। अगर कहीं पर पानी खड़ा है तो उसे नीचे गिरा दें। लोगों को किया जा रहा जागरूक : डा. कलसी

जिला एपिडिमोलाजिस्ट डा. प्रभजोत कलसी ने बताया कि जिले में डेंगू का एंटी लारवा चेक करने के लिए अर्बन एरिया में 20 कर्मचारी लगाए गए हैं। वहीं ग्रामीण एरिया में अलग से टीम लगाई गई है। जिले में अब तक 59190 घरों में चेकिग की गई है। इनमें से 3304 के घरों में डेंगू का लारवा मिला है। गुरदासपुर जिला हेडक्वार्टर में 39828 घरों में चेकिग की गई थी। इनमें से 1199 के घरों में डेंगू का लारवा मिला। वहीं बटाला में 19362 के घरों में चेकिग की गई। जबकि 2105 के घरों में डेंगू का लारवा मिला है। उन्होंने बताया कि लोगों के डेंगू का बचाव के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। सभी वार्डो में करवाई फागिग : ईओ

नगर कौंसिल गुरदासपुर के ईओ अशोक कुमार का कहना है कि शहर के सभी 29 वार्डो में रोटेशनवाइज फागिग करवाई गई है। उन्होंने कहा कि लगातार वार्डो में फागिग करवाई जा रही है, ताकि डेंगू के कहर को रोका जा सके। जिले के दो अस्पतालों में ही होता है डेंगू का टेस्ट

जिले में करीब 26 लाख आबादी रहती है। इस समय जिले में डेंगू के केस काफी बढ़ते चले जा रहे हैं। मगर मौजूदा समय में जिले में मात्र दो सरकारी अस्पतालों सिविल अस्पताल गुरदासपुर व बटाला के अस्पताल में ही डेंगू के टेस्ट हो रहे हैं। दूर दराज के गांवों व शहरी एरिया से लोगों को कई किलोमीटर सफर तय करके इन अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। जबकि निकट के किसी भी सरकारी अस्पताल में डेंगू टेस्ट का कोई इंतजाम नहीं है। इस कारण अधिकतर लोग टेस्ट करवाने निजी अस्पतालों का रुख करते हैं और वहीं पर अपना इलाज करवा रहे हैं। सरकारी रिकार्ड में भले ही 85 मरीज डेंगू से ग्रस्त मिले हैं। मगर अगर निजी अस्पतालों में भी देखा जाए तो वहां भी बहुत से मरीज अपना इलाज करवा रहे हैं।


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