सरकारी दफ्तर, अस्पताल और स्कूल रहे बंद, लोग हुए परेशान
डिप्टी कमिश्नर विपुल उज्जवल से विधायक सिमरजीत सिंह बैंस की ओर से किए गए अभद्र व्यवहार के विरोध में मंगलवार को भी जिले के सरकारी दफ्तर सिविल अस्पताल और निजी स्कूल बंद रहे।
बाल कृष्ण कालिया, गुरदासपुर
डिप्टी कमिश्नर विपुल उज्जवल से विधायक सिमरजीत सिंह बैंस की ओर से किए गए अभद्र व्यवहार के विरोध में मंगलवार को भी जिले के सरकारी दफ्तर, सिविल अस्पताल और निजी स्कूल बंद रहे। कर्मचारियों की हड़ताल के कारण विभिन्न सरकारी दफ्तरों में काम करवाने आए लोगों को काफी परेशानी हुई। सिविल अस्पताल में डॉक्टरों ने मरीजों को नहीं देखा। उधर, डीसी के समर्थन में निजी स्कूल बंद रहे। सरकारी स्कूल खुले तो रहे, लेकिन उनमें उपस्थिति नाममात्र रही।
डिप्टी कमिश्नर कार्यालय, शिक्षा विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग, रोजगार कार्यालय, एडीसी कार्यालय, एसडीम कार्यालय, सिविल अस्पताल के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हड़ताल करने वाले कर्मचारियों संख्या करीब 300 से अधिक रही। लग रहा है कि अधिकारी और कर्मचारी पटाखा फैक्ट्री में हादसे में मारे गए 24 लोगों को भूल प्रदर्शन करने में ही जुट गए हैं।
डीसी और विधायक के विवाद में सरकारी कर्मचारी और अन्य राजनीतिक दल रोटियां सेक रहे हैं। मंगलवार को सरकारी कर्मचारी यूनियन ने डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के बाहर सुबह दस बजे धरना शुरू किया। इस दौरान सिमरजीत सिंह बैंस की विधानसभा की सदस्यता रद करने और उसकी गिरफ्तारी की मांग की। इस दौरान दफ्तरों में काम के लिए आने वाले लोग परेशान होते रहे। उधर, सोमवार शाम के समय पहले सरकारी स्कूलों में छुट्टी की घोषणा कर दी गई। इसके बाद देर रात तक लोक संपर्क अधिकारी की ओर से यह मैसेज जारी किया गया कि निजी और शिक्षण संस्थान खुलेंगे, कोई भी छुट्टी नहीं करेगा। इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या नाममात्र रही जबकि निजी स्कूल पूरी तरह बंद रहे। सरकारी कर्मचारियों की रही मौज
दस बजे से दो बजे तक धरना प्रदर्शन करने के बाद अधिकतर कर्मचारी धरना स्थल से गायब हो गए। कर्मचारी अपने निजी कामों में व्यस्त रहें और डीसी को इंसाफ दिलाने के बहाने कार्यालयों से चलते बने। हालांकि पंजाब सरकार की ओर से ऐसी कोई भी सरकारी तौर पर छुट्टी नहीं की गई थी। इस मामले संबंधी किसी भी राजनेता और बड़े अधिकारी ने संज्ञान लेने की जहमत नहीं उठाई। कर्मचारी की जुबान फिसली, पंजाब सरकार मुर्दाबाद के लगाए नारे
प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों की जुबान भी फिसल गई। उन्होंने डीसी गुरदासपुर जिदाबाद पंजाब सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए। हालांकि तुरंत बाद उसको सही करते हुए सिमरजीत सिंह बैंस मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए गए। इस दौरान अधिकतर कर्मचारी अपनी हंसी भी नहीं रोक पाए। लोगों ने कर्मचारियों के धरने को बताया ड्रामा
उधर, सोशल मीडिया पर डीसी और विधायक सिमरजीत सिंह बैंस का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर सरकारी कार्यालय के कर्मचारियों के धरने को लोगों ने महज ड्रामा बताया है। लोगों का कहना है कि सरकारी काम से छुटकारा पाने के लिए कर्मचारी बिना वजह धरने पर बैठ रहे हैं। अगर कर्मचारी इतना ही न्याय पसंद है तो बटाला में हुए पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट दौरान मारे गए 24 लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए धरने पर बैठे। अगर कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकते तो अपना एक दिन वेतन दें। किसके कहने पर सरकारी कार्यालय हुए बंद : राम कुमार
रोजगार कार्यालय में काम के लिए आए दीनानगर निवासी राम कुमार ने बताया कि वह दो दिन से कार्यालय में चक्कर काट रहा है। उसे अपनी फाइल पूरी करने के लिए कहा गया है। जब वह मंगलवार को अपनी फाइल पूरी करके गुरदासपुर कार्यालय में आया तो पता चला कि वहां पर हड़ताल की वजह से छुट्टी है। उन्होंने कहा कि हड़ताल किसके आदेश पर हुई है। सरकारी कार्यालय के कर्मचारियों ने आम जनता का काम नहीं किया और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। राजस्व विभाग को पांच लाख, परिवहन विभाग को आठ लाख का नुकसान
कर्मचारियों की हड़ताल के चलते जिले के राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने कोई काम नहीं किया। रोजाना रजिस्ट्रयों से होने वाली सरकार को पांच लाख से अधिक की सरकारी कमाई मंगलवार को नहीं हुई। इसी तरह परिवहन विभाग में ट्रैफिक चालान, लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि के काम से होने वाले करीब आठ लाख से अधिक की आमदनी का नुकसान हुआ है। बिना आदेश के निजी स्कूल रहे बंद
मंगलवार को निजी स्कूलों के बंद को लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह के मैसेज वायरल होने लगे। पंजाब में कई बार विभिन्न संगठनों की ओर से दी जाने वाली बंद की कॉल के दौरान प्रदर्शनकारियों को ऐसे स्कूल बंद करवाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी थी। लेकिन मंगलवार को ऐसा चमत्कार हुआ कि सभी निजी स्कूलों ने बिना किसी सरकारी लिखित आदेश के अपने स्कूल- कॉलेज बंद कर दिए। कुल 994 निजी स्कूल बंद रहे। हालांकि 435 सरकारी स्कूल खुले रहे, जिनमें बच्चों की संख्या नाममात्र रही।