एफसीआइ विभाग शैलर उद्योग को करना चाहता है तबाह: माहल
पंजाब खेतीप्रदान प्रदेश है। पंजाब में चावल किसानों की मुख्य फसल है। चावल की फसल किसानों की ही नहीं, बल्कि पंजाब की खेती उद्योग में भी अहम स्थान रखती है। खेती धंधों से जुड़े शैलर उद्योग बर्बादी के रास्ते पर है। क्योंकि चावल खरीदने वाली भारत की सबसे बड़ी खरीद एजेंसी एफसीआई द्वारा शैलर मालिकों से चावल स्टोर करने से आनाकानी की जा रही है। उक्त विचार शैलर उद्योग यूनियन के जिला गुरदासपुर से प्रधान हरप्रीत ¨सह माहल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब भी कोई शैलर मालिक अपना माल लेकर धारीवाल कार्यालय के गोदामों में जाता है तो शैलर मालिकों को एफसीआई विभाग के अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। जहां पहले शैलर मालिक 20 फीसद कोटा एफसीआई को जमा करवा देते थे, मगर अब 10 फीसद कोटा भी एफसीआई ने जमा नहीं किया है।
संवाद सूत्र, काहनूवान : पंजाब खेतीप्रदान प्रदेश है। पंजाब में चावल किसानों की मुख्य फसल है। चावल की फसल किसानों की ही नहीं, बल्कि पंजाब की खेती उद्योग में भी अहम स्थान रखती है। खेती धंधों से जुड़े शैलर उद्योग बर्बादी के रास्ते पर है। क्योंकि चावल खरीदने वाली भारत की सबसे बड़ी खरीद एजेंसी एफसीआई द्वारा शैलर मालिकों से चावल स्टोर करने से आनाकानी की जा रही है। उक्त विचार शैलर उद्योग यूनियन के जिला गुरदासपुर से प्रधान हरप्रीत ¨सह माहल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जब भी कोई शैलर मालिक अपना माल लेकर धारीवाल कार्यालय के गोदामों में जाता है तो शैलर मालिकों को एफसीआई विभाग के अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। जहां पहले शैलर मालिक 20 फीसद कोटा एफसीआई को जमा करवा देते थे, मगर अब 10 फीसद कोटा भी एफसीआई ने जमा नहीं किया है। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली व व्यवहार से लगता है कि 31 दिसंबर तक शैलर उद्योग का 20 फीसदी धान भी एफसीआई नहीं स्टोर कर सकेगा। एफसीआई के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा रोजाना ही हड़ताल के नाम पर शैलर मालिकों को परेशान किया जाता है। उन्होंने पंजाब सरकार व फूड कारपोरेशन आफ इंडिया से अपील की कि एफसीआई विभाग के अधिकारियों को समय पर चावल खरीदने के लिए पाबंद किया जाए।