पर्यावरण संरक्षण मानव जाति के भविष्य और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण : गीता
पर्यावरण संरक्षण आम तौर पर पेड़ों और हरियाली के संरक्षण को दर्शाता है।
संवाद सहयोगी, गुरदासपुर : पर्यावरण संरक्षण आम तौर पर पेड़ों और हरियाली के संरक्षण को दर्शाता है। व्यापक अर्थो में इसका तात्पर्य पेड़ों, पौधों, पशुओं, पक्षियों की सुरक्षा से है। वास्तव में पर्यावरण और जीवन के बीच एक अनूठा संबंध है। पर्यावरण संरक्षण मानव जाति के भविष्य और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। ये बातें सरपंच गीता ठाकुर ने कही।
उन्होंने कहा कि आने वाले कल में उन समस्याओं का सामना हमारी अपनी ही संतानों को करना पड़ेगा। हमारा पर्यावरण दूषित हो जाता है तो प्रकृति का जैविक संतुलन भी बिगड़ जाएगा। ज्ञात-अज्ञात फसलों के रोग, जीव व मानव को अपनी चपेट में लेकर जन व धन दोनों को हानि पहुंचाएंगे। आजकल विश्व में हर क्षेत्र में बढ़ता प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के रूप में आपदाएं पृथ्वी पर ऐसे ही बढ़ती रहीं तो वे दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिये पर्यावरण संरक्षण पर जोर देने की अवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन को बारीकी से समझना होगा। यह समझ केवल वैज्ञानिकों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। खाद्य सुरक्षा हमें अन्न पृथ्वी से ही मिलता है। बढ़ती जनसंख्या को हम तभी खाद्यान्न दे सकते है, जब पृथ्वी बची रहेगी। हमें पानी पृथ्वी से मिलता है। पानी के प्रदूषण को कम करने के साथ ही पानी की मात्रा और गुणवत्ता पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी लेनी होगी।