बाजारों में सन्नाटा, ईद-उल- फितर की रौनक कम
मुस्लिम भाइचारे का प्रसिद्ध त्योहार ईद-उल - फितर कल मनाया जाएगा।
सबीहा बेगम, कादियां: मुस्लिम भाइचारे का प्रसिद्ध त्योहार ईद-उल - फितर कल मनाया जाएगा। प्रदेश में कर्फ्यू खत्म होने के बाद भी राज्य सरकार ने धार्मिक स्थान खोलने की अनुमति नहीं दी है, ऐसे में इस त्योहार को मुस्लिम समाज अपने घरों में रहकर ही मनाएगा। त्योहार को लेकर पहले जो रौनक देखी जाती थी, वह इस बार बाजारों में कम ही है।
कॉस्मेटिक्स विक्रेता मनसूर अहमद घनोके का कहना है कि रमजान की ईद से पूर्व महिलाएं काफी शॉपिग करती थीं, मगर इस वर्ष लॉकडाउन के कारण लोग बाजारो में खरीदारी करने बहुत कम संख्या में पहुंच रहे हैं। इस वर्ष दुकानदार और ग्राहक दोनों ही निराश रहे, क्योंकि बाजारों में गर्मी के कपड़ों का दुकानदारों के पास स्टॉक नहीं है। जो था, वह ग्राहकों को पसंद नहीं आ रहा है। यही हाल कास्मेटिक्स, आभूषण और घरेलू जरूरतों की वस्तुओं है।
जीवन में आया बदलाव: तारिक अहमद जमाअत अहमदिया भारत के प्रवक्ता के तारिक अहमद ने देश वासियों को ईद उल फितर की मुबारकबाद देते हुए कहा है कि इस वर्ष रमजान और ईद उल फितर कोरोना महामारी के कारण हमारे जीवन में एक नया बदलाव लेकर आई है। रमजान अपनी रहमत और बरकतों से जहां नवाजता रहा है, वहीं अल्लाह की नाराजगी का रंग कोरोना के रूप में भी देखने को मिला। ऐसा पहली बार हमारे जीवन में बदलाव आया कि हम अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा करने को अल्लाह की रजा समझते हैं। अल्लाह को याद करने का दिया मौका: मुनीर अहमद मुनीर अहमद खादिम सकालर जमाअत अहमदिया ने कहा कि रमजान में रोजे रखने और इस्लामी इबादतें करने का आदेश है, परंतु इस वर्ष अल्लाह ने हमें एक माह नहीं, बल्कि लगभग दो माह से अपने घरों में अपने परिजनों के साथ अपने जीवन को समझने और अल्लाह को याद करने का मौका दिया है। यदि हम अपने घरो में न बैठते तो न जाने कितने लोग इस ईद में हमसे जुदा हो चुके होते । यह अल्लाह का कर्म है कि हम फिर अपनी खुशियों को पा रह हैं। इसलिये आवश्यक है कि अपने आप सहित दूसरों के जीवन को बचाएं।